नये वर्ष 2017 में,1 जनवरी से सब कुछ बदल जायेगा,दिल्ली से निकलेगा आदेश,31 दिसंबर को,1 जनवरी से रातें चांदी की होंगी,दिन सुनहरा हो जाएगा,न किसी को भूख लगेगी,न सतायेगी प्यास किसी को,भक्त बनाएंगे मंदिर उनका,कोई काम न करना होगा किसी को,हर तरफ सिर्फ हर हर मोदी गाया जाएगा, हम देखेंगे अम्बानी, अडानी के उड़ते उड़नखटोले गगन में,उनसे उतरकर भगवान सभा में भाषण देने आएगा,अभी मांग रहा अम्बानी डिजिटल हो जाओ की भीख,फिर हर देशवासी हाथ में लेकर मोबाइल,डिजिटल भीख माँगते नजर आएगा,कोई काम न करना होगा किसी को,हर तरफ सिर्फ हर हर मोदी गाया जाएगा, देवदूत चलेंगे,पलक झपकते गुजर जायें,ऐसी रेलों में,जो करेगा विरोध,उसकी जगह होगी जेलों में,प्रात: होगी प्रार्थना, जिसमें,सिर्फ जय, जय, मोदी, गाया जायेगा,कोई काम न करना होगा किसी को,हर तरफ सिर्फ हर हर मोदी गाया जाएगा, न घर की जरुरत होगी,न पहनना पड़ेंगे कपड़े,शर्म किसी को भी आयेगी क्यों?जब हर देशवासी नंगा हो जाएगा,कोई काम न करना होगा किसी को,हर तरफ सिर्फ हर हर मोदी गाया जाएगा, स्वर्ग हो जायेगी धरा भारत की,नर्क आसमां में चला जाएगा,1 जनवरी 2017 से प्यारो,हर भारतवासी स्वर्गवासी हो जाएगा,भक्त बनायेंगे मंदिर उनका,वो भगवान हो जायेगा,कोई काम न करना होगा किसी को,हर तरफ सिर्फ हर हर मोदी गाया जाएगा, अरुण कान्त शुक्ला22 दिसंबर, 2017
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Very nice sarcasm on today’s environment. Like before for so called Nehru family propaanda us at its peak. Earlier they were holier than cow now he is. Kya Karen Apna Bharat hai hi aisa .
Arun kant jee – jab bhi koi lekhak ya kavigan ko apne desh ke maharumo par gussha aata hai to ish taraha ki hi bani nikalti hai … bahut badiya ……. thanks…
अति सुन्दर विचार ! श्रीमान जी
रचना पर प्रोत्साहन के लिए सभी स्नेही जनों का आभार..
बहुत खूबसूरत व्यामंगात्मक कटाक्ष किया है आपने ……………..अंधी भक्ति का उम्दा प्रमाण !!
शुक्लाजी…..एक लेखक की भाँती रचना काम…व्यक्तिगत कटाक्ष ज्यादा उभर आया है….ये सही है की यहाँ व्यक्ति पूजा होती है…देश की नहीं पहले….पर साथ में यह भी सही है की यहाँ आलोचना भी सकारात्मक कम है…..लोकतंत्र का मतलब हम ये ले लेते की हम किसी को कुछ भी बोल सकते…पर उसके साथ हम अपने कर्त्तव्य भूल जाते….कटाक्ष में शब्दों का चयन भी ऐसा होना चाहये जो हर किसी को साथ ले के चले….और अगर हालात बिगड़ते हैं या बनते हैं तो भागीदारी सबकी होती है उसमें….कोई एक वर्ग विशेष प्रभावी हो सकता है…पर हम अपने कर्तव्यों से भाग नहीं सकते….