लग गया है प्यार का ये रोग सजना जाता नही कैसा है ये रोग सजनालाइलाज बीमारी है तड़पूँ सजना लग गया है तुमसे ये दिल सजना लग गया है………………………… रोग सजनाखिलता था जो चेहरा अब मुरझाये आँसू भी बहाता ये वफ़ा निभाये लड़ रहा दुनिया से प्यार अपना राह है कठिन लेकिन आना सजना लग गया है………………………… रोग सजनासागर से भी गहरा अपना ऐसा रिश्तालिख दें हम किताब प्रेम अमर अपनातुमसे है गुजारिश प्यार दे दो अपना है ये तो हकीकत प्यार तुमसे सजना लग गया है………………………… रोग सजनानजरें भी चुराये सनम जख्में देता है लेकिन दिल जानम फना तुझपे रहता हैना करना मायूस दिल इजहार ये करता करलो तुम भी फैसला आ जाना सजना लग गया है………………………… रोग सजनाहो जाओ तुम खफा चाहे हमसे उम्र भर दे जाओ तुम दर्द चाहे दिल को तोड़करबस तुम एक झलक दिखा दो सजना अब रहो खामोश ना कुछ बोलो सजना लग गया है………………………… रोग सजना “मनोज कुमार”
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Manoj geet on kee lambai se jyada gahraai pe focus karo. Saraahneey prayaas……
Achhi geet manoj jee ispar thodi aur mihnat ki jaye to aur nikhar aa sakti hai…….ham sabhi jald bazi me post to kar detey hain par ushpar agar apne aap gaur pharmaya jaye to kuchh changes ho jatey hai…….. achhi baat ……..
सुंदर गीत मनोज जी……… मधुकर जी की बातों को गौर करें
Sunder geet……………………….
bahut sundar………….
अति सुन्दर गीत रचना …………….मधुकर जी का विचार तर्कसंगत है !!