ज़िन्दगी जब भी अपना पता देती है,ग़म कितने हैं यह बता देती है।सह भी लेते हैं लोग अक्सर इसको,फिर भी अक्सर रुला देती है।फ़िक्र जब बढ़ जाती हैं खुशियों को लेकर,तो हमारे जिस्म को काँटा बना देती है।वक्त गुजरता चला जाता है इस ज़िन्दगी में,कुछ मर जाते और कुछ बूढ़े हो जाते हैं।छोटे और बड़ो पर भी अपना जादू चला जाती है! सर्वेश कुमार मारुत
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अति उत्तम । छोटी किन्तु बेहतरीन रचना ।।
धन्यवाद!
बेहतरीन लाजवाब खूबसूरत
श्रीमान जी , आपको नमन
bahut sundar
धन्यवाद! श्रीमान जी
Bahut sundar…
आपका अति आभार, अनु जी
बहुत ही खूबसूरत………….
श्रीमन जी , तहे दिल से आपको नमन
Nice write….
धन्यवाद!
उत्तम सृजन …………………………!!
धन्यवाद! श्रीमान जी
बहुत खूबसूरत
धन्यवाद! मनोज जी