माँ से प्यारा इस जग में ना, हमको कोई प्यारा हैमाँ की सेवा कर लो, इसके चरणों में सुख सारा है माँ से प्यारा……………………………. सुख सारा हैये रिश्ता है ऐसा जिसको, देवो ने ऊँचा माना जिसके प्यार के लिए, खुद धरती पे आना चाहामाँ की महिमा माँ जाने, परिभाषा भी विशाल है माँ ही ईश्वर, माँ ही पूजा, माँ ममता की खान है माँ से प्यारा……………………………. सुख सारा हैमाँ बरसाती प्यार बहुत, गमों को वो छुपाकर अपने आचल से ढक लेती, गलती वो भुलाकर आती है जब याद अश्क, नैनों से टपकते हैं झेले है बहुत दुःख हमने, जबसे माँ से बिछड़े हैंमाँ से प्यारा……………………………. सुख सारा हैमाँ चलना सिखाती ऊँगली, ऊँगली को पकड़ करके और हमको सुलाती माँ खुद, जग लोरी सुना करकेतू मुस्काती जब – जब माँ, बहारें घर में आतीं है तू होती दुखी जब – जब माँ, धड़कन मेरी बढ़ती हैं माँ से प्यारा……………………………. सुख सारा हैखुशियाँ माँ बखेर देती, पापा को मनाकर के खुद भूखी रह जाती माँ, अपनी रोटी खिलाकर के तुम बिन ये होली दिवाली, सब त्योहारें फीकी हैं जब तू हमको डांटती तो, नई नई सीखें देती है माँ से प्यारा……………………………. सुख सारा हैचेहरा कैसा भी हो माँ का, माँ तो जग से सुन्दर है सुन्दरता इर्ष्या करती, सुन्दरता से माँ सुन्दर है मेरा घर माँ, मेरी दुनिया, माँ मेरा समाज है मुझे गर्व है अपनी माँ पर, माँ मेरा भगवान है माँ से प्यारा……………………………. सुख सारा है “मनोज कुमार”
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बहुत ही अच्छी गीत माँ के लिए मनोज जी
बहुत बहुत धन्यवाद बिंदु जी
Bahut hi sundar Geet …Manoj ji…
Thanks a lot Anu ji
सुंदर गीत……. माँ के लिए ………
बहुत ही खूबसूरत…… मनोज जी……
बहुत बहुत शुक्रिया
bahut sundar aap ne shabdo ko bahut sundar sajaya hain
बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत सुन्दर ……………….माँ को समर्पित अच्छे भाव !!
हार्दिक आभार ……………….. निवातिया जी
bahut khoob ……..
बहुत बहुत आभार
Sunder geet………………………..
शुक्रिया विजय जी