आज़ादी, आज़ादी, आज़ादी,सबको चाहिए बस आज़ादी,एक दूसरे को रोंदते हुए,बस आगे बढ़ने की आज़ादी,अपनी सोच को बिना लग़ाम लगाए,बस दौराने की आज़ादी,न कानून का, न ही संस्कारो की समझ,बस दिल मांगे है, आज़ादी,विरोध करने की, आज़ादी,दिखानी पड़े चाहे, बेदर्दी,पर चाहिए हमे आज़ादी,इतने निष्ठुर, हम कैसे होते जा रहे?न आसपास की,न किसी बात की,न ही फ़िक्र है हमे,किसी के भी भावनाओ की,कुछ लोगो का मकसद मानो,बस हंगामा करना हो,रही सही कसर,मिडिया पूरा कर देती,आज़ादी जो है, अभिव्यक्ति की,क्या दिखा रहें?क्यों दिखा रहें?किसका भला होगा इससे?इन्हे कहाँ है, मतलब इससे?देश का माहौल, अगर बिगरे भी,इन्हे खबरें और मिल ही जाएगी| अनु महेश्वरीचेन्नई
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sahi kaha apne anu ji apne………………
Thank You, Madhu ji…
कटुसत्य है अनुजी, बहोत खूब 👌👌..
Thank You, Shashikant ji…
कटुसत्य है अनुजी, बहोत खूब ..
Thanks….
आजादी के अनोखे रूप
Thank You, Bindeshwar ji…
Well said Anu ……………..
Thank You, Shishir ji…
सुंदर और यथार्थ रचना अनु जी………. ।।
अनु जी आपने मेरी रचना पिता नहीं पढ़ी…..
Thank You, Kajal ji….
अति सुन्दर अनु जी …………..सब संवेदन विहीनता और स्वार्थी जीवन शैली का परिणाम है !
Thank You, Nivatiya ji…
very nice
Thank You, Manoj ji…