Homeजिगर मुरादाबादीये हुजूमे-ग़म ये अन्दोहो-मुसीबत देखकर ये हुजूमे-ग़म ये अन्दोहो-मुसीबत देखकर विनय कुमार जिगर मुरादाबादी 26/03/2012 No Comments ये हुजूमे-ग़म[1] ये अन्दोहो-मुसीबत[2] देखकर अपनी हालत देखता हूँ उसकी हालत देखकर शब्दार्थ: ↑ दुखों का झुण्ड ↑ दुख और व्यथा Tweet Pin It Related Posts न ताबे-मस्ती न होशे-हस्ती कि शुक्रे-नेमत अदा करेंगे जह्ले-ख़िरद ने दिन ये दिखाए लाख बलाये एक नशेमन About The Author विनय कुमार Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.