प्रेम का अंकुर
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परावर्तन के आईने में प्रेम का अंकुर उगाना है आत्मीय मिटटी में बोध का उर्वरक मिलाना है प्रेम रस से परिपूर्ण बन जायेगा ये फलित वृक्ष तुम संग सिमट के छाया में जीवन लुटाना है !!!!!डी के निवातिया
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बेहतरीन. क्या शब्द चयन है निवतिया जी.बहुत खूब.
अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ……….shishir ji.
शानदार. लाजवाब.
अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ……….vijay jI.
किया बात हैं किया शब्दों का चयन किए हैं,,,,,,,बहुत ही बेहतरीन हैं
अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ……….JUBER.
Bahut sundar….
अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ……….ANU Ji.
बहुत ही खूबसूरत………. लाजवाब……..
अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ……….KAJAL JI.
nice lines nivatiya ji……….
अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ……….MADHU JI.
Very nice……….
अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ……….MANOJ KUMAR
bahut sundar sir
अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ……….ARUN KUMAR
अतीव सुन्दर ………,, उत्तम सृजन …………,
अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ……….MEENA JI.
Behtareeeeeennnnnn……..
अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ……….BABBU JI.
Superb lines Sir,…………,….speechlesh
अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ……….SHYAM TIWARI.
अति उत्तम भाव
अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ……….SARVESH KUMAR