हिंदी के गुरूजीजब से हमारी कक्षा में हिंदी के गुरु जी का आगमन हुआ हैमत पूछिए क्या क्या हुआ हैअ की मात्रा आ की मात्रा में उलझी है जीवन की यात्राजब से अ के माथे पे अनुस्वार आ बैठा हैदिल बेचारा सदमे में बैठा हैअनुतान की तान जब गुरुजी बताते हैअनुनासिक के गुणों को जब गाते हैअनुप्रास अलंकार के ज्ञान में उलझ करजी रहे है संभल संभल करजब से हिंदी वाले गुरूजी कक्षा में पधारे हैकथा कविता सुनाते हैसब्दो के भावपूर्ण अर्थ बतलाते हैंऐसा लगता है मानो दिल दिलदार से रुठा हैअपना तो हिंदी ज्ञान झूठा हैअल्प्प्राण महाप्राण का ज्ञान जब इस मन को होता हैसरीर होता है प्राण नहीं होता हैजब से हिंदी वाले गुरु का आगमन हुआ है #Abhishek rajhans
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अति सुन्दर अभिषेक …………..रचना हिंदी की जटिलता को बल देती है……एक साहित्यकार होने के नाते गुरु जी के माध्यम से हिंदी की मनोहारी रोचकता का चित्रण करते तो और खूबसूरत लगती !!
कोशिश रहेगी
अगली बार और बेहतर लिख सकूँ
Bahut sundar …sahi likha aapne, hindi real me Jatil language hai…
bahut khub…
हिंदी बाहरी रूप से तो बहुत सरल है पर आंतरीक जटिलताओ का ज्ञान बहुत ही कम लोगो को हो पाता है…
मुझे लग रहा है की आप भी उनमे से एक हो…
एक लड़के ने गुरूजी से कहा की गुरु जी आज जल्दी छुट्टी चाहिए.
गुरूजी ने पूछा क्यों ?
लड़का बोला गुरूजी “लम्ब दंड गोल पिंड धर पकड़ प्रतियोगिता” देखने जाना है.
गुरूजी सन्न हो गए, फिर पूछा ये क्या होता है.
लड़का CRICKET
सूंदर रचना…………..
Abhi jee aap gurudeo vijay jee ke baat pe chaliye sab bhala hoga……..सरीर mein salvey sha lagaiye ish tarha ke ek do error hai…… dhanyabad……
Hindi itni bhi kamjor nahi sir
Kuch galtiya jaan bujh ke chora hu
Taaki aap sab iss rachna ko padhe aur meri kamiya bataye
Dhanyawaad
Aapka abhishek
Bahut sunder ……
अति सुंदर
good……………
बहोत खूब
बहुत ही सुंदर…….. लाजवाब…..
Dhanyawad kajal jee