कैसे मुकर जाओगे
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यंहा के तो तुम बादशाह हो बड़े शान से गुजर जाओगे ।ये तो बताओ खुदा कि अदालत में कैसे मुकर जाओगे
चार दिन की जिंदगानी है मन माफिक गुजार लो प्यारे।आयेगा वक्त ऐसा भी खुद की ही नजर से उतर जाओगे ।।
लूट खसौट का ज़माना है जी भर के हाथ आजमा ले ।एक न एक दिन तो जमाने के आगे हो मुखर जाओगे।।
ये जो रंग चढ़ा है तुम्हारे कँवल पर सुर्ख गुलाब सा।लगी जो बद्दुआ गरीब की सूखे पत्तो से बिखर जाओगे।।
असर तो हमेशा न किसी का रहा है और न ही रहेगा।टूटेगा जिस रोज़ अहम खुद इस वहम से उबर जाओगे ।।
आये थे खाली हाथ जहाँ में, खाली हाथ ही जाना है।होगा ये इल्म जिस रोज़ खुद ही रब के दर पसर जाओगे
वक्त अभी भी बाकि है खुदा की इबादत करने के लिये ।मान लो सलाह “धर्म” की, इस जग में सुधर जाओगे ।।
!!!डी के निवातिया
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Bahut sundar rachna Nivatiya ji…”लगी जो बद्दुआ गरीब की सूखे पत्तो से बिखर जाओगे”…
रचना के भावो को मान देने के लिए ह्रदय से आभार और तहदिल से शुक्रिया आपका………………ANU JI.
Bahut hi sundar
रचना के भावो को मान देने के लिए ह्रदय से आभार और तहदिल से शुक्रिया आपका………………MANOJ KUMAR
umda bemishal jan jan ko deti ek sunder sa sandesh…….. bahut pyara……
रचना के भावो को मान देने के लिए ह्रदय से आभार और तहदिल से शुक्रिया आपका………………BINDU JI.
‘ये तो बताओ खुदा कि अदालत में कैसे मुकर जाओगे’
beautiful
रचना के भावो को मान देने के लिए ह्रदय से आभार और तहदिल से शुक्रिया आपका………………Raquim Ali.
Dharmendra Ji,
ati uttam rachana padhne se kaise mukar jaoge
रचना के भावो को मान देने के लिए ह्रदय से आभार और तहदिल से शुक्रिया आपका………………RAM GOPLA JI.
Behad arthpoorn khoobsoorat gazal Nivatiya Ji ….
रचना के भावो को मान देने के लिए ह्रदय से आभार और तहदिल से शुक्रिया आपका………………SHISHIR JI.
बहुत कोशिश करता हूँ मैं ऐसा लिखने की….पर नहीं लिख पाता….देखते हैं कब सभी शब्द…भाव… कलकल करते सरिता की तरह आपकी कलम जैसे कब निकलते हैं मेरी कलम से…. लाजवाब…..भावपूर्ण…संदेशपरक….सत्य को उजागर करती……बेहतरीन ग़ज़ल…
रचना के भावो को मान देने के लिए ह्रदय से आभार और तहदिल से शुक्रिया आपका………………ये आपकी महानता है बब्बू जी ….जो आप हमे आप इतना मान देते है ………आपकी लेखनी बड़ी अप्रितम है………..पूण: धन्यवाद आपका !!
बहुत सुन्दर ,क्या खूब लिखा है आपने निवातिया सर……..
रचना के भावो को मान देने के लिए ह्रदय से आभार और तहदिल से शुक्रिया आपका………………MADHU JI.
Maja agaya sir Ji
रचना के भावो को मान देने के लिए ह्रदय से आभार और तहदिल से शुक्रिया आपका………………RAMESH.
बेहद खुबसूरत गज़ल सर………..और इन पंक्तियोंये ने तो मेरी जान ले ली…………………………………………………………………………. जो रंग चढ़ा है तुम्हारे कँवल पर सुर्ख गुलाब सा।
लगी जो बद्दुआ गरीब की सूखे पत्तो से बिखर जाओगे।।
रचना के भावो को मान देने के लिए ह्रदय से आभार और तहदिल से शुक्रिया आपका………………SHYAM
Laajawab…………………………..
रचना के भावो को मान देने के लिए ह्रदय से आभार और तहदिल से शुक्रिया आपका………………VIJAY JI.
हर पंक्ति अपने आप में अनुपम ……..,शर्मा जी के कथन से मै पूर्ण सहमत हूँ वास्तव में बेहद खूबसूरत लिखते हैं आप .
रचना के भावो को मान देने के लिए ह्रदय से आभार और तहदिल से शुक्रिया आपका………………ये आपकी महानता है मीना जी ….जो आप हमे आप इतना मान देते है ………आपकी लेखनी बड़ी अप्रितम है………..पूण: धन्यवाद आपका !!
वक्त अभी भी बाकि है खुदा की इबादत करने के लिये ।
मान लो सलाह “धर्म” की, इस जग में सुधर जाओगे ।।
बस यही काफी है जिन्दगी सुधारने के लिये।
रचना के भावो को मान देने के लिए ह्रदय से आभार और तहदिल से शुक्रिया आपका………………BHUPENDRA DAVE JI.
भाव सम्प्रेषण उत्तम, शब्द चयन उत्तम, संदेशपरक और गहन चिंतन को चित्रित करती एक बेहद उम्दा रचना, बधाई इस सृजन पर
रचना के भावो को मान देने के लिए आपके अमूल्य वचनो का ह्रदय से आभार और तहदिल से शुक्रिया आपका………………SURENDRA JI.
सुन्दर अभिव्यक्ति
बहुत खूबसूरत रचना…..
डी के जी बहुत बहुत बधाई
रचना के भावो को मान देने के लिए आपके अमूल्य वचनो का ह्रदय से आभार और तहदिल से शुक्रिया आपका………………ANUJ TIWARI
बहुत ही खूबसूरत……….
बहुत ही बेहतरीन………..
रचना के भावो को मान देने के लिए ह्रदय से आभार और तहदिल से शुक्रिया आपका………………KAJAL JI.
beautiful lines
तहदिल से शुक्रिया आपका……………saket.ektate
बहुत ही अच्छा लिखा है आपने
उत्साहर्वधन करती आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार ……..अन्य रचनाये भी नजर करे और अपने विचार साझा करे !!
वाह क्या खूब कही है निवातीयाजी..
बहोत खूब,,, मजा आ गया .
तहदिल से शुक्रिया आपका……………शशिकांत जी
बहुत सुन्दर निवातियॉ जी
उत्साहर्वधन करती आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार किरण जी ……..अन्य रचनाये भी नजर कर अपने बहुमूल्य विचार साझा करे !!
आप तो लाजवाब हैं | बहुत सुन्दर…..!
उत्साहर्वधन करती आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार अरविन्द उपाध्यायक जी ……..अन्य रचनाये भी नजर कर अपनी अमूल्य प्रतिक्रया से हमे अनुग्रहित करे ……….पूण: धन्यवाद आपका !!
ये जो रंग चढ़ा है तुम्हारे कँवल पर सुर्ख गुलाब सा।
लगी जो बद्दुआ गरीब की सूखे पत्तो से बिखर जाओगे।।
गजलों के इतने सुन्दर गुलदस्ते के लिए आपको धन्यवाद और बधाई |
उत्साहर्वधन करती आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार अरुण कान्त शुक्ला जी ……..अन्य रचनाये भी नजर कर अपनी अमूल्य प्रतिक्रया से हमे अनुग्रहित करे ……….पूण: धन्यवाद आपका !!
Bahut khoob.
तहदिल से शुक्रिया आपका…………Anderyas !!
बहुत बढ़िया परिचय वास्तविकता से
रचना नजर कर अमूल्य प्रतिक्रिया वयक्त करने के लिए कोटिश धन्यवाद आपका ……..विवेक जी !
Very well written…
Thank U Very Much for reading & put your valuable comment .
बहुत ही अच्छी तामीर है निवातिया जी।
ज़मीनी हक़ीक़त को बहुत ही सलीके से और सटीक तरह से पेश किया है।
बहुत ही उम्दा।