गम मनाऊ तो कैसे रिश्ता तो होताचल सके साथ मेरे फरिश्ता तो होतागया छोड़ दुनिया वो मर्जी थी तेरीमोहोब्बत का मेरे यूँ सौदा न होता
बात ऐसी नहीं भूल जाऊ मै सब कुछयाद करने को तू अपना तो होताक्या राज जाने दफ़्न दिल में रख्खे थेएक बार मुझसे कह दिया तो होता
गम नहीं मुझे और गम भी है शायदहाल दिल का तेरे दिखाया तो होतातू दूर था सही मै अंजान हो बैठादूर से सही रिश्ता निभाया तो होता
जब पता चला तू चल दिया अकेलेयाद कर के मुझे तूने देखा तो होतामै दुश्मन नहीं था याद भी ना आईधड़कनों को तेरे संभाला तो होता
मै दुश्मन नहीं था याद भी ना आईधड़कनों को तेरे संभाला तो होता—————-//**–शशिकांत शांडिले, नागपुरभ्र.९९७५९९५४५०
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अति सुंदर ……………..!!
धन्यवाद निवातियाजी
Beautiful lines ….
मनोजजी शुक्रिया !
Bahut sundar…
अनुजी शुक्रिया
bhut badhiya shashi kant ji…………
शक्रिया मधुजी
ATI Sundar…..
धन्यवाद baabucm जी
Bahut sunder rachana……………………….
धन्यवाद विजयजी !
BADIYA SHASHI JEE……. DUSRON KI RACHNA BHI NAZAR ANDAZ KAREN…..
बिंदेश्वरजी आभार !