फटे-पुराने कपड़े और भावों के मंथन मेंजब गाँठ लगे तब बनती है पोटली।आम आदमी के सपने और मजदूर की रोटीअपने आप में बाँध कर रखती है पोटली।नन्हे बच्चों की जादुई कहानियाँ और स्वप्निल संसारमखमली ताने-बाने में छिपा कर रखती है पोटली।जीवन की कड़वाहट और पुलकन भरी मुस्कुराहटयादों की परतों में समेट कर रखती है पोटली।किसी गृहिणी की योग्यता प्रमाणित करती डिग्रीयाँधूल की परतों से बचा बड़े जतन से रखती है पोटली। ××××××××××× “मीना भारद्वाज”
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Bahut hi sundar rachna…Meena ji…
Hardik dhanywaad Anu ji .
bhut khoobsurat rachana meena ji apki……… gajab……..
Tahedil se shukriya Madhu ji .
very nice
Thanks a lot Manoj ji .
Waah Meena ji potli ki upyogitaaon par sahi nazar dalu hai. Ati sundar……….
Thank you so much Shishir ji .
बेहद खूबसूरत……………..
Thank you so much Sharma ji .
बहुत ही सुन्दर……………..
जन्म से पूर्व ही गर्भ में बांधे रखती है पोटली
कर्मो के फल सफर पर समेटे रखती है पोटली
Atyant aabhaar vijay ji . Aapki lines behad sundar hain .
बहुत खूबसूरत मीना जी ……………अंतिम पद ह्रदय को छू गया………….
सम्पूर्ण जीवन के सार से बनती है कर्मफल की पोटली
यही बनाता है इंसान यही छोड़कर चला जाता है पोटली !!
Thank you so much Nivatiya ji .Behad khusurat lines hain .Awesome ………,