*इम्तेहान*कंपकंपी आने लगती हैदिमाग करता नहीं है काम माथे से पसीना छूटने लगता हैजब आता है इम्तेहान का नाम ; जिंदग़ी में एग्जाम के कई पर्चे होते हैं, जैसे- ‘काम-क्रोध-लोभ-मोह-घमंड-द्वेष-माया कैसे बचा जाय, इनकी जो है काली छाया।’******** ****** ***********:पहले पर्चे ‘काम’ का पहला प्रश्न :मेरे चढ़ते यौवन का आलम होमेरे चेहरे पर चमक-दमक होबहुत ही, अच्छी मेरी सूरत होएक पराई लड़की या औरत हो जिसमें ग़ैरत हो, या जो बेग़ैरत होजो जवान हो, बेहद खूबसूरत हो-‘जो मेरे साथ सफ़र में हो या जो मेरी देख-रेख में होया मेरे सामने यूं ही पड़ जाएजो मेरी परवरिश में होया जो मुझ पर डिपेंड हो या मेरी छत्र-छाया में, यूं ही आ जाएजिसे किसी मजबूरी में कोई मेरे पास लाया होया कहीं खोई हो, और मैंने उसे पाया हो;’अगर,मेरी नज़रें लगातार झुकी रहें, और झुकी ही रहेंमेरी आवाज़ में नरमी रहे, और नरमी बनी रहेमेरी हरकतें संजीदा रहें, और संजीदग़ी बनी रहे।अगर बार-बार हर बार,उसमें मेरी मां, बेटी, बहन की तस्वीर नजर आयेआती ही रहे, जब तक वह वापस न चली जाये। फिर मेरीमाँ या स्त्री मेरे पास आएं, उसके जाने के बादमुझसे उसकी पहचान पूंछें, चले जाने के बादबड़े इत्मीनान और फ़ख्र सेमैं कहूँ ‘मैं उसकी पहचान हरगिज़ नहीं बता सकता हूँसच बात है कि मैं ग़ैर, की शक़्ल नहीं देख सकता हूँ।’ख़ुदा को गवाह बना लूं मैं, औरफिर बोलूं ‘मेरे लिए यह बात बिल्कुल वैसी है, जैसे लक्ष्मण वनवास में, सीताजी का चेहरा नहीं देखे थेमूसा, शोएब की बेटी सफूरा को राह में नहीं देखे थे।’तब मैंख़ुद में, आत्मबल का एक आभास पा सकता हूँतब मैं समझूं कि पहला पर्चा मैं हल कर सकता हूँतब मैं मानूं कि मैं इसमें पास मार्क्स ला सकता हूँ।जिंदग़ी के बाकी पर्चे व कई सवाल,बहुत कठिन हैं, है बात यह पक्कीइल्म-ईमान-आमाल की रोशनी में हीहल हो सकते हैं, है बात यह सच्ची। ….र.अ. bsnl
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bhut sundar rachana ……kya likhte hai aap……..khoob……
Madhu ji Shukriya
Behad umdaa……………
खूबसूरत विश्लेषणात्मक अभिव्यक्ति ………….!!
मेरा मानना है की किसी स्त्री की ओर न देखने मात्र से मेरी भावनाएं पवित्र नहीं होतीं. अगर मेरी भावनाएं पवित्र हैं तो हम किसी भी स्त्री के प्रति एक पवित्र भावना से सोचेंगे और यदि मेरी भावनाएं ही दूषित हैं तो पर्दा होने पर भी हम किसी के साथ पवित्र भावना नहीं रख सकते. अगर मन की नजरों में शर्म न हो तो आँखे बंद कर भी हम दूषित विचार ही रखेंगे. रचना एक अच्छे विषय पर है लेकिन थोड़ा नजरिये का फर्क अवश्य है.
Shishirr ji
aur Niwatiya ji
A lot of thanks for your
reading and kind comments pl.
Vijay Kumar ji
a lot of thanks for your reading and comments pl.
Sir, the sense is the same as you have depicted.
puri dastan dil ko chhu jane wali hai ….. bahut sunder…….
Sharma ji
a lot of thanks for your
reading and kind comments pl.
Behad khoobsoorat bhaav…..alag Andaaz….
अति सुन्दर ………………
CM Babu ji
Manoj Kumar ji
Thanks a lot, both of you
for reading and kind comments pl.