कुछ वक़्त पहले की है, बात,चल रही थी मै, फुटपाथ पे,अचानक, किसी चीज से,फिसल, गिर पड़ी मै|आस पास बहुत से लोग थे,किसी ने, ऊफ तक नहीं की,बस एक को छोड़|और मदद के लिए,जिसने हाथ बढ़ाया था,सबकी नज़रो में तो,वह खुद एक लाचार था|किसी दुर्घटना में, वह,अपने दोनों पैर गवा चूका था,और वहाँ, रोज़ शाम को,भीख मांगने बैठता है|उसने पूछा फिर भी,”तुम ठीक तो हो”,कही लगी तो नहीं”?सर न में हिला, मै,उठ खड़ी हुई जल्दी से,जिस चीज़ से, पैर फिसला था,वह एक अमरुद का छिलका था,किसी ने, खाकर, लापरवाही से,छिलके को वहीं, फेंक दिया था,गुस्सा तो आ रहा था,फिर भी मैंने, छिलके को उठा,कचरे के डिब्बे में दाल दिया|लौटते वक़्त मै सोचने लगी,जिस पे लोग दया दिखा,कुछ रूपया दे देते है,उस मे इंसानियत, अभी भी ज़िंदा है,और अपने आप को सक्षम,मानने वाले लोगो का ज़मीर,रोज़ मर्रा की आपाधापी में,कब का मर चूका है,और अब मानवता को,भूल, हम, बस ज़िन्दा है| अनु महेश्वरीचेन्नई
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सत्य वचन…………..सुन्दर रचना………..
एक स्थान पर थोड़ा कंफ्यूज हूँ शायद आपसे केले के छिलके के स्थान पर गलती से अमरुद का छिलका लिखा गया. अन्यथा न लें मुझे ऐसा लगा.
Thank you, Vijay ji. Guava ka hi tha. Mai bhi chouk gayi thi dekh ke. Paka hua tha sayad isliye slippery hogaya ho…
Beautiful…
आप लघुकथा भी लिखा किजिये बहुत सुंदर लिखती है आप…
आप की यह रचना भी इसी शैली की लगती है…
Thank You, Krishna….
Manawta ki baat bahut hi badi hoti hai Anu jee aap ne apni aap into hui ek sunder ghatna ko marmik dhang se batman liya hai…,.
Thank You, Bindeshwar ji…
वास्तविक जिंदगी के जीवंत अनुभव का सुंदर चित्रांकन ……………..!!
Thank You, Nivatiya ji…
Very sad and true. Hope you are well….
Thank you Shishirji…ye ghatna feb end ki hai. I am fine….
bahut sundar aap beeti….or sahi kaha aapne…maanvata gum ho rahi hai………..
Thank You, Sharmaji…
aapki rachanaye bhut hi sundar anubhvo ka khjana hote hai anu ji…
Thank You, Madhu ji…
और अब मानवता को,
भूल, हम, बस ज़िन्दा है
very nice
Thank You, Raquimali ji…
कई बार इस तरह की घटनाएँ हो जाती हैं आपने बड़ी सुन्दरता से शब्दों में ढाला है .
Thank You, Meena ji…
Very true
Thank you, Manoj ji…