किसको आज फुर्सत है किसी की बात सुनने कीअपने ख्बाबों और ख़यालों में सभी मशगूल दिखतें हैंसबक क्या क्या सिखाता है जीबन का सफ़र यारोंमुश्किल में बहुत मुश्किल से अपने दोस्त दिखतें हैंक्यों सच्ची और दिल की बात ख़बरों में नहीं दिखतीनहीं लेना हक़ीक़त से क्यों मन से आज लिखतें हैंधर्म देखो कर्म देखो अब असर दीखता है पैसों काभरोसा हो तो किस पर हो सभी इक जैसे दिखतें हैंसियासत में न इज्ज़त की ,न मेहनत की कद्र यारोंसुहाने स्वप्न और ज़ज्बात यहाँ हर रोज बिकते हैंदुनियाँ में जिधर देखो हज़ारों रास्ते दीखतेमंजिल जिनसे मिल जाये बह रास्ते नहीं मिलतेग़ज़ल(दुनियाँ में जिधर देखो हज़ारों रास्ते दीखते )मदन मोहन सक्सेना
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madan sahab bahut achhi gazal hai bas dikhte mein harsai kar laga deyn……..
sundar nazm……………….
सुन्दर रचना
Lovely write Madan Ji ……..