समझो ना पराया हमें,हम भी तो अपने हैं।यूँ ना हमसे मुँह मोड़ो,हमारे भी कुछ सपने हैं।क्या इतना बड़ा गुनाह है,इस दुनिया मे हमारा आना,कुछ हमारे भी सवाल हैं ,जरा इनके जबाव तो देते जाना।जिसने आपको जन्म दिया,यो भी तो एक औरत है,फिर बेटी के जन्म से,इतनी क्यों नफरत है।क्या सिर्फ बेटो के सहारे,जीवन कट जायेगाजरा सोचो आपका नाना – नानी,बनने का सपना कैसे पूरा हो पायेगा।याद आयुंगी तब मैं,जब हमारी जरुरत आएगी,क्यों सताते हो बेटियों को,कभी सोचा है हमारे बिना,सृष्टि कैसे चल पायेगी।Tulsi kumar
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tulsiji….aap sahi likh rahein hain….”dada-daadi” ki jagah “naana-naani” hona chaahyea….
मार्गदर्शन के लिए शुक्रिया आप सबों से हम सीख सकते हैं धन्यवाद
SUNDAR ABHIVYKTI ……………….!
Thanks
bhav purn rachna ek maa ke liye but babu jee ke baat ka thoda dhyan rakhna hai soumil jee.
Thanks sir kosis rahegi ki galtiya kam ho
ati sundar ……….
Thanks
Bahut sundar…
धन्यवाद