क्या चाहती है माँ?बस अपने बच्चो की,हर वक़्त सलामती|बस दो पल कोई साथ बैठे,अपनी बातें बताए उसे,उसकी भी सुने|अपनी उलझनों को भी बांटे उससे,वह हर मसले का हल ढूँढना चाहती,चाहे बस में हो या न हो|तुम कितने भी बड़े या समझदार होजाओ,फिर भी वह चाहेगी बचपन की तरह,अब भी उससे सलाह लो|बस दो बोल,मीठे हो या कड़वे,बस ख़ामोशी न रहे|बार बार फ़ोन कर पूछने का,मकसद भी यही होता,बस ठीक हो न?वह जासूसी नहीं कर रही होती,उसे तुम्हारी हर वक़्त फिक्र रहती,तुम कैसे हो, जानना चाहती|तुम कितना भी कहलो,हम बड़े होगए, अपने हाल पे छोड़दो,वह नहीं समझेगी, माँ है न|तुम कितने भी बड़े हो जाओ,उसके लिए तो बच्चे ही हो,और शायद हमेशा रहोंगे|माँ ऐसी ही होती है,बस हमेशा वह चाहती,बच्चे पास रहे या खबर देते रहे|तुम उसके साथ हंसो,वह भी तुम्हारे साथ हॅसना चाहती,जीना चाहती तुम्हारे साथ, हर पल को|कभी कभी थोड़ी सी सराहना भी चाहती,आखिर है तो इंसान ही,नहीं चाहिए भगवान का दर्जा उसे|बस उसके त्याग और परिश्रम के लिए,थोड़ा सा अपनापन, थोड़ी सी प्रशंसा,और अकेलेपन में, साथ तुम्हारा चाहती|तुम कही भी रहो, पास या दूर,वह तो बस तुम्हे सुखी और खुश देखना चाहती,बस इतना सा चाहती है माँ| अनु महेश्वरीचेन्नई
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
Ati sundar Anu ……
Thank You, Shishir ji…
अति सुन्दर ………………
Thank you, Manoj ji…
अति सुंदर भाव
Thank You, Akhilesh ji…
Ati sundar ……….,
Thank you, Meena ji…
अनुजी…..आप ने बहुत सही लिखा है….बहुत कुछ देखा सामने आ गया….माँ बाप बच्चों के लिए सब कुछ त्याग देते….पर बच्चों के पास वक़्त नहीं उनको सुनने का जब ज़िन्दगी के आखिरी पड़ाव पे होते माँ बाप….
Thank You, Sharmaji…
यथार्थ को चित्रित करती खूबसूरत रचना ………..!
सृष्टि के नियम हमे कुछ ऐसे बनाये है…………..अपने ही हाथो आम उखाड़कर बबूल उगाये है ………..विलासिता, धन लोलुपता, और अहम् की चाहत में हमने अपनों के ही दिल दुखाये है !
Thank You, Nivatiya ji…