चाल मटकनी चाले इंद्र की कोई हूर थीसुंदर सोना रूप उसकाघमंड मे वह चुर थीमै गाता फिरता थाअफसाने उसके प्यार केवो कर गयी दगाबाजीउच्चे महल तेरेनिचे थे ढेरे हमारेकिसे दुआ मॉगते हमारे लिएरब भी हो गया तुम्हाराआसू बनके खून निकलेनिकले खून पानीजिंदगी को कर गयी बर्बादये महला वाली रानीफिरते हूँअकेला वोशहर तेरे मे मरजानीतुझे ले गये गैरमै देखता रहा गयाउल्फत के राहो मेकाँटे बिछे पडे थेकरके विश्वास तुझपेघाव दिल पर अमन ने झेले थे
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सूंदर भावों से सुसज्जित रचना.
मेरी कुछ रचनाएँ दाहिने लिस्ट में हैं नजर करें. “कदम”, “चला हूँ ढूंढने गजल”, “हिसाब”, “चुभन”, “मोहब्बत (गुलाब)” साथ ही अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया दें.
Thanks ji
SABD JAL SE BUNI HUI ACHHI RACHNA … AMARNATH JEE……
Thanks ji
बहुत ही सूंदर रचना……………..…………
Thanks ji
bahut khoob…………..