अब मिलता नहीं, जो आंसू छुपा के रखा था कहींना ही वो जिंदगी जो तन्हा गुज़ारी हैना ही वो बातें जो तुम करती थी कभीना ही वो सपने जो तुमने दिखाए थेना ही वो बारिश जिसमे भीगे थे साथना ही वो खत जो तुमने छुपाये थेना वो ही वो ख़्वाब जो छत में टहलते थेना ही वो रातें जो जागते गुज़ारी हैना ही वो वक़्त जो गुजरा था बाँहों मेंना ही वो फूल जो बिछे थे राहों मेंना ही वो रास्ता जिससे गुजरते थे हमना ही वो दिन जब आयी थी पनाहों मेंना ही वो बादल ,घटा, सावन, वो बूंदेना ही वो जुल्फें जो उलझी तुम्हारी हैंघूमता हूँ कभी जब उस पुरानी सड़क पेकुछ सतरंगी कुछ स्याह रंगो के साथमहकता रहता हूँ याद करके मैं भीजब जब महकती ये यादें तुम्हारी हैं
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Is rachnaa me Kuch kah sake ho Kuch nahi. Poori tarah se khuloge to aur nikhaar aaegaa.
Aapke sujhaav ka bahot bahot swaagat hai shishir ji .. shukriya
महकता रहता हूँ याद करके मैं भी …… Good thoughts.
Dhanyavaad Bhupendra Ji
Sunder bhaav…………..
Shukriya Vijay ji
khoobsoorat………………….
Dhanyavaad
सुन्दर रचना
Shukriya Manoj Ji