जिन आँखों में मुहब्बत का नशीला जाम मिलता है उन्हीं सीनों से लगने में ही तो आराम मिलता हैजुबां का क्या करोगे झूठ वो तो कह ही सकती है नज़र से ही तो इस दिल का असल पैगाम मिलता हैनशा गर ना करे इंसान तो ये जीवन कटे कैसेघर उसको लौटकर वीराना जब हर शाम मिलता हैबीज बोते हो तुम जैसे फ़सल वैसी ही होती है नफ़रत का तो नफ़रत ही बस इक अंजाम मिलता हैज़माने की बातों का ना तू विश्वास कर साथी बढ़िया आदमी ही अक्सर यहाँ बदनाम मिलता हैशिशिर मधुकर
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Wow ..
Very nice.
शिशिर जी गुस्ताखी माफ़….मेरे विचार से यदि अंतिम अंतरा को इस प्रकार कर दिया जाये तो अधिक लय रहेगी
ज़माने की तू बातों का नही विश्वास कर साथी
बढ़िया आदमी अक्सर यहाँ बदनाम मिलता है
Dhanyavaad Manoj. Aapkaa sujhaav saraahneey hai
Bahot hi jyada sundar rachna hai shishir ji .. Dil ko chhoo ke gujari hai
Shukriya Ashish ……..
Very nice…
So nice of you Any for reading ……………….
बेहद खूबसूरत…………..!!
Haardik aabhaar Kajal Ji ……………
bahut khoobsoorat……………….
Tahe dil se shukriyaa Babbu Ji…..
Behad khubsurat………………….
Tahe dil se shukriya Vijay………….
Behad khubsurat ………….,,
Rachnaa pasand karne ke liye tahe dil se shukriyaa Meena Ji ………..