जिंदगी जी रहे तो मौत से इंकार मत करना चाहते चलो सबको पर खुद को बेक़रार मत करना जेब बड़ी हो जाये अच्छा ही है ये तो ज़मीर भूल के फरेब का इख़्तियार मत करनासबसे मिलो, हसो और बातें करो पर भूले से भी किसी का ऐतबार मत करनाप्यार बेहिचक बांटते रहो दुनिया में किसी मासूम का कभी शिकार मत करनाकोई रोक दे तुमको तो और बात है खुद की नेकी से कभी इंकार मत करनाजिस ओर जाने को मना किया था माँ ने उस रस्ते को कभी पार मत करना ||
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Behad umdaa Gazal………
Bahot bahot shukriya Shishir ji
किसी मासूम का कभी शिकार मत करना
बेहद खूबसूरत
Bahot bahot shukriya Manoj Ji
bhut khoobsurat rachana apki……………………
Bahot bahot shukriya Madhu ji
बहुत ही लाजवाब………….
Shukriya Kaajal Ji
Bahut sundar….
Bahot bahot shukriya Anu ji
lovely …………………………..!!
Bahot bahot shukriya Nivatiya Ji
लाजवाब भावों से पिरोई ग़ज़ल है ये…….
मुझे लगता की…”खुद की नेकी से कभी इंकार मत करना” “खुद को” होना चाहये….
और यह शेर….
जिस ओर जाने को मना किया था माँ ने
उस रस्ते को कभी पार मत करना ||
जो अस्पष्ट लगता है….अगर इसको ऐसे कहें तो कैसा लगता आपको…
जिस ओर जाने को मना किया था माँ ने
उस रास्ते को नज़रों से भी पार मत करना ||
Waah.. aapne to char chaand laga diye
Bahot shukriya aapka