प्राचीन काल से ही नारी का विशेष स्थान रहा है हमारे समाज में | गीता में एक श्लोक कहा गया है यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता अर्थात जहाँ नारी की पूजा की जाती है वहाँ देवता निवास करते है और जहाँ नारी का अपमान होता है वहाँ कभी खुशहाली नहीं आ सकती है कोई भी कार्य पूरा नहीं हो पता है |पुराने समय में देश पर हुए अनेक आक्रमणों के पश्चात् भारतीय नारी की दशा में भी परिवर्तन आने लगे । नारी की स्वयं की विशिष्टता एवं उसका समाज में स्थान हीन होता चला गया । अंग्रेजी शासनकाल के आते-आते भारतीय नारी की दशा अत्यंत चिंतनीय हो गई । उसे अबला की संज्ञा दी जाने लगी तथा दिन-प्रतिदिन उसे उपेक्षा एवं तिरस्कार का सामना करना पड़ा ।राष्ट्रकवि ‘मैथिली शरण गुप्त’ ने अपने काल में बड़े ही संवेदनशील भावों से नारी की स्थिति को व्यक्त किया है:”अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी ।आँचल में है दूध और आँखों में पानी ।”विदेशी आक्रमणों व उनके अत्याचारों के अतिरिक्त भारतीय समाज में आई सामाजिक कुरीतियाँ, व्यभिचार तथा हमारी परंपरागत रूढ़िवादिता ने भी भारतीय नारी को दीन-हीन कमजोर बनाने में अहम भूमिका अदा की ।नारी के अधिकारों का हनन करते हुए उसे पुरुष का आश्रित बना दिया गया । दहेज, बाल-विवाह व सती प्रथा आदि इन्हीं कुरीतियों की देन है । पुरुष ने स्वयं का वर्चस्व बनाए रखने के लिए ग्रंथों व व्याख्यानों के माध्यम से नारी को अनुगामिनी घोषित कर दिया ।पर अंग्रेजी शासनकाल में भी रानी लक्ष्मीबाई, चाँद बीबी आदि नारियाँ अपवाद ही थीं जिन्होंने अपनी सभी परंपराओं आदि से ऊपर उठ कर इतिहास के पन्नों पर अपनी अमिट छाप छोड़ी । स्वतंत्रता संग्राम में भी भारतीय नारियों के योगदान की अनदेखी नहीं की जा सकती है ।आज के समय में हम कह सकते है की नारी की दशा बहुत बेहतर हो चुकी है पर आज भी बहुत बड़ी संख्या में नारी को बहुत कुछ सहना पड़ रहा है जैसे जैसे हमारे देश में पश्च्यात संस्कर्ति का बढ़ावा बढ़ता जा रहा है वैसे वैसे लोगो की सोच में वासना का जोर बढ़ता जा रहा है हर कोई नारी को भोग विलास की वस्तु समझा जाने लगा है | आज नारी आजाद होकर भी आजाद नहीं घर में उसके अपने ही खाने की नज़रो से देखने लगते है अगर वह सड़क पर जा रही तो हज़ारो नज़रे उसे घूर कर देख रही होती है |नारी की इस दशा के लिए सिर्फ पुरुषो को जिम्मेदार कहना भी ठीक नहीं होगा क्योकि नारी को नीचा दिखाने में काफी हद तक नारी का भी बहुत बड़ा हाथ है | नारी नारी के दर्द को नहीं समझ रही है लड़की होने पर नारी ही दूसरी नारी को नीचा दिखाने में कोई कमी नहीं छोड़ती है | जब जब नारी पर जुल्म होता ही तब तब नारी ने नारी का तमाशा बनता देखा है | अपनी अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए नारी ने नारी को अपमानित किया है अगर नारी को अपनी दशा सुधारनी है तो नारी को नारी का साथ देना होगा | नारी के लिए देश में बहुत से कानून बनाये गये है जिन की जानकारी हर नारी को होना जरूरी है पर इस बात का ख्याल रखा जाना चाहिए की इन कानूनों की आड़ में कोई नारी किसी को नुकसान पहुचने की कोशिश न करे | पंडित जवाहर लाल नेहरु द्वारा कहा गया मशहूर वाक्य “लोगों को जगाने के लिये”, महिलाओं का जागृत होना जरुरी है। एक बार जब वो अपना कदम उठा लेती है, परिवार आगे बढ़ता है, गाँव आगे बढ़ता है और राष्ट्र विकास की ओर उन्मुख होता है। भारत में, महिलाओं को सशक्त बनाने के लिये सबसे पहले समाज में उनके अधिकारों और मूल्यों को मारने वाले उन सभी राक्षसी सोच को मारना जरुरी है जैसे दहेज प्रथा, अशिक्षा, यौन हिंसा, असमानता, भ्रूण हत्या, महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा, बलात्कार, वैश्यावृति, मानव तस्करी और ऐसे ही दूसरे विषय।नारी के प्रति अब श्रद्धा और विश्वास की पूरी भावना व्यक्त की जाने लगी है। कविवर जयशंकर प्रसाद ने अपनी महाकाव्यकृति कामायनी में लिखा है-नारी! तुम केवल श्रद्धा हो,विश्वास रजन नग, पग तल में।पीयूष स्रोत सी बहा करो,जीवन के सुन्दर समतल में।।अब नारी की स्थिति वह नहीं रह गयी है-‘नर को बाँटे क्या, नारी की नग्न मूर्ति ही आई।’आज समाज में नारी की दशा बहुत बेहतर है | आज वह घर की चारदीवारी में कैद नहीं है वह घर से बहार निकल कर अपने घर को चला रही है | सब से पहले हम सभी को अपनी अपनी सोच को बदलना होगा और गलत काम करने वालो के खिलाफ कठोर से कठोर कार्यवाही और जल्द होनी चाहिए ताकि ऐसी दशा बनने से रोक जाये | हर नारी और देश की बेटी अपने आप को सुरक्षित महसूस करके खुली हवा में उड़ सके | मनिंदर सिंह “मनी”
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main aap ki bat se sehmat huin . bahut khoob
awesome………………….
maniji….aap ne bahut sahi likha hai….par jab tak har ek ki soch…chaahe wo naari ho…aadmi ho… positive nahin hogi….tab tak yeh chalta rahega….aapne jis roop mein bhaavon ko vyakta kiya hai badhaayee ke paatar hain aap………….
मनी जी , बेहतरीन सोच के साथ अच्छी बात कही है आपने । इसके बधाई के पात्र हैं आप ।
बहुत ही बेहतरीन………. मनी जी……
बहुत खूबसूरत मनी……………….अच्छे विषय पर आपने लेख लिखा आपने ……………………..हम नारी उत्थान की बाते बहुत करते है लेकिन मानसिक स्तर पर अभी भी बहुत पीछे है …………..अभी हाल ही में मैंने एक खबर पढ़ी की मुंबई के एक मेडिकल कोर्स के पाठ्यक्रम में पुरुष संतान को जन्म देने की तकनीक का अध्धयन कराया जाता है !……. जबकि देश में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के लिए कितनी योजनाए कार्यरत है !……इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है की विकास के कदम किस और जा रहे है !