मैं तो हु हवा,छूकर गुजर जाऊँगागुजर गया तो, आँधी मैं कहलाऊँगामैं तो हु एक मस्त बहारनजरों से भी आए प्यारमैं तो हुँ सरदार,,,,,,,,,,,,,,2समस्त गोकुल का मैं तो ग्वालाहरि नाम का जाप लगाएप्यार मिले उपहार यातीर चले या तलवारमैं तो हुँ सरदार,,,,,,,,,,,,,2दुनिया की तो बात नूरानीहो ईद या दीवालीकहि हो गमो का खुमारमैं तो हुँ सरदार,,,,,,,,,,,2युद्ध का बिगुल बजे याबजे बाँसुरी की तालआये बड़े-बड़े सम्राटहोकर घोड़े पर सवारफ़िके पड़ गए सिक्के वारमैं तो हुँ सरदार,,,,,,,,,,,2**~~~मु.जुबेर हुसैन
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बहुत ही खूबसूरत…………हो बांसुरी की पुकार या स्वर नाद…ज्यादा उपयुक्त लगता मुझे….शायद…
ji,,,,,आभार,,,,
बहुत खूबसूरत जुबेर ………..रचना में तारम्यता का अभाव लगा मुझे ……आपकी क्षमता के अनुरूप आप इसे और बेहतर कर सकते थे .!!
Ji bhaut bahut. Aabhar……