आपकी तस्वीर अब भी संभ।ल कर रखे हैंअपना दिल आपके लिए निकाल कर रखे हैं। न किया कबूल रिश्ता -ए- इंतजार मेंएक दीया बस मन में जला कर रखे हैं। अपनी नूर -ए -दिवानगी रवानी तेरे नाम कामिलन की आस में निगाहें डाल कर रखे हैं। जिंदगी तेरे नाम का अब भी है सलामतयाद आपकी हमें बुरी हाल कर रखे हैं। वो वादें वो यादें आज भी हमें याद हैमुहब्बत को मैंने सांचे में ढ़ाल कर रखे हैं। ख्याल भला दूसरे का अब क्या करनाखुदा कि कसम हमें बेहाल कर रखे हैं। बी पी शर्मा बिन्दु
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बहुत खूबसूरत बिंदु जी ………………कुछ टंकण त्रुटिया है जैसे संहाल की जगह संभाल होना चाहिए और लिंग सम्बन्धी वर्तनी में भी सुधार की आवश्यकता है …………….कृपया इस और थोड़ा ध्यान दे रचनात्मकता में सौंदर्य बढ़ेगा !!
Sir.jee……tankan mein thodi galti hai so hamne dekh liya hai… kripaya ling bhed ki trutian hamen indicate karen…… thanks.
Bindu ji…..for example जैसे ” आपकी तस्वीर अब भी संभ।ल कर रखा है” में “तस्वीर” स्त्रीलिंग का सूचक हर इसलिए वर्तनी “रखा” की जगह “रखी” होना चाहिए !
sundar….binduji….baaki nivatiyaji ne jo kaha dhyaan rakhiyea bas…. aap to waise hi bahut achha likhte hain………….
thanks babu jee…
Sundar rachna…Nivatiyaji ki baat pe dhyan de…
thanks anu jee