दे हौसला बुलंदी कोना हो कभी विफ़लथाम अपने मन को तुमचला-चल,चला-चल –2सफलता चूमेगी कदमतू लगा के देख दमसुन तू अपने दिल कीहर हद को तू लाँग देचाहें हो ना क्यों वो दल-दलचला-चल,चला-चल –2ना देख आसमान कोना देख तू ज़मीउज्जवल भविष्य तेरा हैंवक़्त रहते ढूंढ ले कमीगुमनामी का धब्बा लगा हैना देख वक़्त किया हुवातू वक़्त से भी आगे निकलचला-चल,चला-चल –2हाथों की लकीर किया हैंना तुझको हैं तेरी ख़बरबाद पछताने से गया हैंवक़्त राहों का ले कोई पहलचला-चल,चला-चल –2~~~मु.जुबेर हुसैन
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oorja bharti bahut khoobsoorat rachna…………….
Abhar sir….. Babucm sir
Apne achhi partikriya diye
bahut sundar rachana..
Bahut bahut sukriya….. Sir
wah juber sahib…….
बहुत बहुत शुक्रिया,,,,
सकारात्मक भावो से परिपूर्ण खूबसूरत ऊर्जावान रचनात्मकता ……….अति सुंदर !
बहुत बहुत शुक्रिया,,,,,,आपने प्रतिक्रिया दी,,,,,
bahut achha jubair jee ……
thanks…..