हर रुख से पर्दा हट रहा है अब धीरे धीरे
कहानी में यूँ रंग बदल रहा है अब धीरे धीरे
रिश्ते एहसासों को खरीदा बेचा जाएगा अब यहां
ज़रा ठहरो ये बाज़ार गर्म हो रहा है अब धीरे धीरे
नाम वालों से सीखा था यहांनाम करने का तरीका
पर नाम वाला ही बदनाम हो रहा है अब धीरे धीरे
लफ़्ज़ों के जाल में फसा है हर कोई यहाँ पर
होश में आओ ज़राहर शब्द हथियार बन रहा है अब धीरे धीरे
जो वक़्त थम गया था यारों की यारी में
वक़्त की खुमारी में बेकशी में बेकरारी में
वो वक़्त भी चल पड़ा है अब धीरे धीरे .
bahut sundar………….
Shukriya….
ati sundar …….
shukriya…..
Bahut sundar…
Shukriya…..
very nice rakesh ji….
Thanku…….
ATI SUNDAR……………………………..!
Shukriya……
Achhi aur satik baat rakesh jee…. bahut badiya….
Shukriya bindeshwar ji……