मेरा भारत, अदभुत भारत, अतुलनीय भारतना ताज जैसी कोई ईमारत कहीं ना गंगा जैसी कोई नदी है कहीं सारे जग में भारत सा कोई नही, देश नही मेरे भारत के जैसा कोई नही, देश नहीभव्य भव्य मंदिर हैं गुरूद्वारे बड़ी बड़ी मस्जिद हैं चर्च प्यारे सुंदर स्मारक उद्धान प्यारेशिल्पकला नृत्यशैली है न्यारी कैथेड्रल सी ईमारत नहीं जैसी क़ुतुब मीनार नहीं सारे जग में भारत सा कोई नही, देश नही मेरे भारत के जैसा कोई नही, देश नहीआम अल्फ़ान्सो और चाय ताज़ा अभ्रक खनिज मैगनीज ज्यादा बरगद कमल बाघ हिंदी भाषा पाई दशमलव जीरो दिया गणितज्ञ भट्ट सा कहीं नहीहिम से ढका कश्मीर नही सारे जग में भारत सा कोई नही, देश नही मेरे भारत के जैसा कोई नही, देश नहीईद दिवाली बैशाखी क्रिसमस अभिव्यक्ती आज़ादी यहाँ अलग अलग सबके धर्म शास्त्र हैं फिर भी हैं सब एक यहाँ नारी भी यहाँ पूजी जाती धरती गाय को माता कही सारे जग में भारत सा कोई नही, देश नही मेरे भारत के जैसा कोई नही, देश नहीतालों और झीलों के शहर धारापूरी जैसी गुफाएँ नही भारत रत्न सा अवार्ड नही तिरंगे के जैसा कोई झंडा नही भगत के जैसा बलिदानी नही और कर्ण के जैसा कोई दानी नही सारे जग में भारत सा कोई नही, देश नही मेरे भारत के जैसा कोई नही, देश नही“मनोज कुमार”
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Nice poem manoj bhai
Thanks Devraj ji
very nice Manoj ji………………………..
Dhanyavad Madhu Ji
Lovely ……………….!
Thanks nivatiya ji