।। कभी हम ।।कभी हम एक थे,चाहे गरीब थे,मगर करीब थे ।मै मन्दिर जाता था,तुम मस्जिद जाते थे ।मै गीता पढ़ता था,तुम कुरान पढ़ते थे ।कभी लड़ते और झगड़ते थे,मगर फिर भी साथ रहते थे,मिलकर हँसते और हँसाते थे ।अब हम तुम अलग हो गए,वो बाँटकर हमे चले गए,हम एक से दो,दो से तीन हो गए,फासले कितने गहरे हो गए ।जब भाई भाई के लहू का,प्यासा हो गया,जन्नत का रंग लाल हो गया,आँतकवाद से तबाह हो गया,जगत के लिए तो एक नया,तमाशा हो गया ।जवान इधर भी मर रहे है,जवान उधर भी मर रहे है,नफरत की आग मे क्यों,हम दोनो जल रहे है ।क्या यही हमारे नसीब थे ।कभी हम एक थे …
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vyatha jaayas hai aapki………………..
bhut khoob ashwin ji……….
nice thought…………………..!