मै अनजान थी,उस वक्त ,जब मेरी कलम चल गयी मै अनजान थी जब मेरे ,कुछ शब्द एक कविता बन गयी. थी मै अनजान अपनी मंजिल से ,शायद उस वक्त मेरे सपनो की हवा चल गयी .है ये शब्द उम्मीद मेरे लिए ,क्योकि मेरे दर्द की ताकत बन गयी .था मेरे पास एक अकेलापन .लेकिन अब मेरी कविता,मेरी दोस्त बन गयी.चलती थी ऐसे ही कभी ,इन्ही रहो में ,पर आज यही रहे मेरे पंक्तियों ,में उतर गयी ..होगा कोई जो सजायेगा,मेरी हर इन्ही पंक्तियों को ,बस ये सोचकर ये राहे , मेरे दिल की दुआ बन गयी .anjali yadav
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bhut sundar ……………………………….
meri rachnaye bhi padhiye.
thanku mam
Very nice…………………………
thanku vijay sir
thanku vijay sir
very nice lines anjali jee.
Good write…..
apne sraha thanku sir
apne sraha thanku sir
अनजाने में इंसान कहा से कहा पहुँच जाते है और उसे पता ही नहीं चलता ……….ये कर्मशील व्यक्तित्व की पहचान होती है ………अति सुंदर !!
dhanyawad sir sundar tippdi ke liye
बहुत अच्छा लिखती हैं आप…..जब भी लिखती हैं……
dhanyawad sir sundar tippdi ke liye