II छंद – उल्लालाIIकान्हा नयन बह रहे, सुदामा चरण धुल रहे Iनिर्मल छवि ये देख के,सब लोक धन्य हो रहे IIप्रेम मोल अनमोल है, जो प्रेम ही आंक सके Iतंदुल में मोहन बिके, जो त्रिलोक न तोल सके II\/सी. एम्. शर्मा (बब्बू)
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Beautiful write…Sharmaji…
तहदिल आभार आपका……..Anuji….
Lovely write Babbu Ji …..
तहदिल आभार आपका……Madhukarji…..
प्रेम का मोल जिसने जान लिया उसने साक्षात ईश्वर को प्राप्त कर लिया……………चंद पंक्तियों में जीवन तत्व को समझा दिया और रचना शैली तो इतनी कमाल की है की बार बार पढ़ने के लालायित करती है ………….नमन आपकी लेखनी को ……आप ही के शब्दों में …जय हो ….हा हा हा.हा ..!!
आपकी ऊर्जा प्रदान करती प्रतिकिर्या का हार्दिक आभार…..जय हो…हा हा हा ….
bhut khoobsurat panktiya hai sharma ji ………
तहदिल आभार आपका……madhuji….
bahut badiya chhand babu jee bahut sunder
तहदिल आभार आपका……Binduji….
Atyant sundar ………., Bhakti bhaav se paripurn utkrisht rachna .
आपकी ऊर्जा प्रदान करती प्रतिकिर्या का हार्दिक आभार….Meenaji…
Ati sunder…………………
आपकी ऊर्जा प्रदान करती प्रतिकिर्या का हार्दिक आभार….Vijayji…
very very nice c m sharma sir……
आपकी ऊर्जा प्रदान करती प्रतिकिर्या का हार्दिक आभार….Maniji…
बहुत ही सुंदर……. मन को छू गई……..
तहदिल आभार आपका….Kaajalji….