तेरे साथ रहता था मैं बादशाहों की तरह।
फ़कीर हो गया हूँ तेरे जाने के बाद।
रात भर जागता रहा ख्वाबों की तलाश में।
नींद आयी भी मुझे तो सहर होने के बाद।
अपने नुक्स खुद से नजर न आये कभी।
सच दिखने लगा वक़्त की मार के बाद।
उस पार जो सब हरा दिख रहा था कल तक।
वो बयाबान था , जाना दरिया पार के बाद।
मैखाने में बैठे लोगों को क्या पता ?
नशा तो मैंने जाना, तुझे जानने के बाद
तेरे साथ रहता था मैं बादशाहों की तरह।
फ़कीर हो गया हूँ तेरे जाने के बाद
-आशीष अवस्थी
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बहुत खुबसुरत ……………….!!
बहोत बहोत शुक्रिया निवातिया जी
bahut sunder ashish jee.
Dhanyawaad
Lovely ……..
Thanks a lot Shishir Ji
Very nice……..
Thanku Kajal JI
बहुत सुन्दर ,जब कोई चीज़ खो जाती है तब उसकी क़ीमत समाझ में आती है
अक्सर से देर से। आपका आभार
bahut khoob………….
Bahot Aabhar aapka
Bahut sundar…
Shukriya Anu Ji
Bahut khub……………………
Dhanywaad aapka
bhut sahi kaha apne………………………….
Bahot bahot shukriya Madhu JI