जिस दिन आए थे तुम मुझसे मिल नेबढ गए थे कदम एक अनजान डगर पे।खुशी ओर गम के गोदे खा रहे थेे हम,तुम मुझे खींच रहे थे अपने शहर में।जाने क्या पाना था मुझे और क्या हैं मिला,ये तो तेरे साथ चल कर चलेगा पता।साथ चलने की कसम खा रहे थे तुम मगर,जाने कितना दे सकोगे साथ मेरा।ये तो वक्त आने पर चलेगा पता।तुम गलत हो या सही,अब तलक न जान पाए हम।आज तेरे संग हंस कर गुजार लू,कल की है किसको खबर।
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सुन्दर रचना
धन्यवाद सर
मन के भावो को अच्छे शब्द दिए आपने ……….अति सुंदर …………..।
शुक्रिया सर।
सुंदर प्रस्तुति तथा सुन्दर रचना
बहुत बहुत शुक्रिया
Sundar rachna…
धन्यवाद
bhut sundar rachana apki………..
धन्यवाद।
Umda rachna hai .
शुक्रिया अंजली जी।
Ati sundar bhaavaavyakti ……….
धन्यवाद सर। निरंतर मेरी रचना पढ़ने और अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए।