Retire करने पर मैंने सोचा कि ऐसा कोई व्यापार करूँजिसमें कोई पूंजी की जरूरत ही न होऔर जिसकी मुझे कुछ जानकारी भी हो।दिल लेने और दिल देने मे कोई पूंजी नहीं लगती औरयह काम मुझे अच्छी तरह आता भी है।और शायद ही ऐसी कोई दुकान अभी market मे खुली हो।चूंकि इसमें कोई पूंजी नहीं लगती इस लिए पूंजी डूबने का कोईडर भी नहीं था इस व्यापार में।डर एक ही था पिटने का।तो इतना तो रिस्क लेना ही पड़ेगा किसी भी काम में।शुरू कर दिया अच्छे दिन अच्छे मूहूरत मे।अभी अखबार मे ईसतिहार क्या दिया जिसमें मोबाइल नम्बर भी थाहर उम्र के दिल के मरीजों का फोन आना शुरू हो गया।मुझे ताज्जुब यह जान कर हुआ कि घर घर मे दिल के बीमारी के मरीज थे।अब इतनी भीड़ को सम्हालना अकेले मेरे वश की बात नहीं थीफिर मुझे एक कम उम् की खूबसूरत assistant की बहाली के लिएईसतिहार देना पड़ा।एक से बढ़कर एक candidates ने apply कियाएक को चुनना था दस candidates का दस दिनों मे interviewलिया और क्या बताऊँ दस दिन होते होते मै खुद दिल का मरीज बन गया। पटना के डाक्टरो ने तो जबाब दे ही दिया हैपत्नी मुझे वंगलोर लेकर आई हैं ईलाज चल रहा है।जल्दी ठीक हो सकता था अगर वह भी जिसे दस दिनों के interviewके बाद मैने चूना था मेरे साथ वंगलोर आ जाती।ठीक हो जाने का इन्तजार कर रहा हूंअबकी precaution के साथ शुरू करूंगा क्योंकिएक यही काम है जो मै कर सकता हूं।मै पीड़ित दिलो का इलाज counselling करके करूंगान कि कोई surgery करकै क्योंकि मुझे खुद चीड़ फाड़ से बहुत डरलगता है। दवा भी मेरा herbal होगा जैसे दूध वादाम वालाकेसर दालचीनी बड़ी इलाईची की पुड़ियो का अच्छा stockपहले से बनबा कर रखूंगा।मेरे patients को उर्वशी अभिज्ञान शकुनतलम जैसे काव्य याखुशवंत सिह जैसे इन्डियन लेखको की किताबों को पढ़ने की सलाहभी दी जाएगी।कुछ अच्छी कमाई होने पर guest faculties के रूप मे कभी कभीराखी सावंत मल्लिका शेरावत या विद्या बालन को भी बूलाया जाएगा।जो chargeable होगा।मेरा यह clinic धीरे-धीरे research institute के तरह का होजाएगा जहां शोध का भी काम होगा।मेरा तो plan हैं कि अपने इस dream institute का पूरे देशमे इसका branch खोल दूगाॅ या franchaisee दूगाॅ।करना तो बहुत कुछ चाहता हूं पर जल्दी से ठीक तो हो जाऊॅ।
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अरुणजी….अच्छी कोशिश है हास्य व्यंग की….पर इसको आप दुबारा पढ़ेंगे तो पाएंगे बिखरी सी है कहीं कहीं….और अच्छी हो सकती है…अगर ‘मकसद’ एक ही हो पूरी रचना में…..
हास्य व्यंग की अच्छी कोशिश… जैसा की बब्बू जी ने कहा और अधिक प्रभावशाली बनाया जा सकता था …………लेकिन प्रयास सरहनीय है !
हा हा हा हा …….बढ़िया अरुण जी……………..
lekin arun ji aajkal is vyaapaar me bhi poonji vaale hi kaamyaab hain
हा हा हा हा हा…… Nice…….. सबसे ज्यादा हंसी मुझे शिशिर जी के बातों में आई……. हा हा हा हा हा हा