वर्क उड़ने लगेकिताब ज़िंदगी की खोली ही थीकि वर्क उसके उड़ने लगेछा गई बाहर कुछ ऐसीकी फिर हम सभलने लगेखट्टे मीठे पलों कीयादें उभर रहीं थीबीते पलों में जैसे बहकने लगेथा हर नज़ारा चलचित्र हो जैसेकभी हम डूबने कभी उभरने लगेटकरा के ख़ामोशियों से कभीमायूसीयों में घिरने लगेयूँ भी हुआ कभीमीठी यादों में खोहम पिघलने लगेजीवन तो है इक कहानी की तरहजाने कियूँ शब्द आज मचलने लगेकई बहारें ख़ुशियों से भर गयीं दामनकुछ उड्डा ले गयीं चैन मन काठिट्टकते हुए क़दमों से चले जा रहे थेकुछ आयी बन के आँधीऔर उड्डा गयीं होश दिल कासोचती हूँ बहुतवजह समझ पाती नहींक्या २ घट्ट गयाना रहा ज़ोर तन कापहेली सी लगती है ज़िंदगी आजसमझ नहीं आता शोर मन कावर्क दर वर्क बदल जाते हैं चेहरेकुछ छोड़ जाते हैं मीठी यादेंकुछ ले जाते हैं चैन दिल काहर चेहरे के पीछेछुपी है कोई कहानीबदलते रहते हैं किरदारपर रह जाती है निशानी
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bhut khoob yaade kiran ji………………………
मधु जी बहुत २ धनयावाद
Bahut hi sundar..Kiran ji…..yaade aisi hi hoti hai…kuch khatti kuch mithi…
अनु जी ज़िन्दगी खट्टी मीठी यादों के सहारे ही चलती है धन्यावाद
Behad sundar rachnaa Kiran Ji ………………
शिशिर जी बहुत २ धन्यावाद
behad khoobsoorat….zindagi mein yaadon ka kaarwaan…………
ब्बबू जी ज़िंदगी का कारवाँ ऐसे ही चलता रहता है ,धन्यावाद
Ati sunder…………………………..
विजय जी बहुत २ धन्यावाद