मेरी नयी रचनाशीर्षक- आज भीआज भीजब याद मैं तुझे करता हूँमेरी आँखे छलक जाती हैंसोये अरमां जाग जाते हैंमेरे जज्बात बहक जाते हैदिल में दबी तेरी तस्वीर देखकरमेरी साँसे ठहर जाती हैंवो गलियों में बिताये लम्हेवो बाहों का घेरामेरी साँसों पे तेरा डेरायाद बहुत आते हैंआज भीउन गलियों का सूनापनमुझे कचोटता रहता हैजीवन के अधूरे हिस्सों को भरने में डर लगता हैजीवन के उन अधूरे किस्सों मेंगुमराह होने का डर लगता हैआज भी तू जिन्दा है मुझमेकहने से दिल डरता है—अभिषेक राजहंस
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Bahut sunder………
Dhanyawad sir
Very nice………………….
आपका दिल से आभार
Beautiful…………………….!!
गुरुदेव आपका दिल से आभार
आपको मैं अपना गुरु मानता हूँ
कृपया मेरा मार्गदर्शन करते रहें
bhav khoob abishek ji………………
धनयवाद
आप मेरी माँ के जैसी है
साहित्य के क्षेत्र में आप मेरा मार्गदर्शन करती रहें