सोते हुए को जगाना है मुझको,
रोते हुए को हँसाना है मुझको
मै तो दीवाना हूँ अपने वतन का,
वतन को लुटेरो से बचाना है मुझको
कुछ ने है खाया चारा और कोयला,
कुछ ने खेलो में भी कर दिया रे घोटाला
2जी और 3जी की कर दी नीलामी,
इसमें भी लोगो ने पैसे बना ली
धरती को लूटा,आकाश को लूटा,
इन भ्रष्टाचारियो ने सारे देश को है लूटा
अब लुटने न देना है देश को मुझको,
वतन को लुटेरो से बचाना है मुझको
……
काट रहे है जेब अब मेरी तुम्हारी,
पेट्रोल और डीजल की है दाम बढाई
गैस,केरोसिन की करते कालाबाजारी,
खाने में भी अब आग लगाई
आग में जल रहा देश है सारा ,
इनको है अपना कुर्सी प्यारा
अब न सहन होता है मुझको,
वतन को लुटेरो से बचाना है मुझको
सोते हुए को जगाना है मुझको,
रोते हुए को हँसना है मुझको
ek acchi kavita vijay jee badiya.
धन्यवाद………..
sundar……….
धन्यवाद……………
सूंदर भावों में रचित……
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धन्यवाद………
बहुत खूबसूरत ……………………!!
thanks…………….
bhut khoob
धन्यवाद……….