मैं और मेरी कलम……………..दिल करता है जब जब में,लिख देता हूँ |मैं अपनी कलम से अपना, दर्द बयाँ कर देता हूँ ||मैं और मेरी कलम हम दोनों, एक दूजे के साथी है |इसके बिना अधूरा हूँ मैं, मेरे बिना ये आधी है ||तीखी हों या मीठी बातें, सब कुछ साफ कह देता हूँ |दिखे आइना जैसा सब कुछ, अपनी कलम से कहता हूँ ||दिल करता है जब जब में, लिख देता हूँ |मैं अपनी कलम से अपना, दर्द बयाँ कर देता हूँ ||इससे वफा में करता हूँ, बहुत जबरदस्त ये लिखती है |सपनों को साकार करे ये, मन प्रफुल्लित करती है ||नन्ही कलम हूँ छोटी सी, पूजा इसकी करता रहूँ |दिल छू ले ऐसी बातें, और प्रेम गीत रचता रहूँ ||दिल करता है जब जब में, लिख देता हूँ |मैं अपनी कलम से अपना, दर्द बयाँ कर देता हूँ ||बिना कलम के वीणापाणी, मैं तो जी सकता नही |रुके कलम ना मेरी माँ, शारदे विनती करता यही ||सरस सरल और मीठा सा, ताना बाना बुनता रहूँ |करता है “मनोज” कामना, प्यारा सा लिखता रहूँ ||दिल करता है जब जब में, लिख देता हूँ |मैं अपनी कलम से अपना, दर्द बयाँ कर देता हूँ || ( मनोज कुमार )
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Nice poem
Thanks a lot kiran Ji
Sunder geet…………………
Thanks a lot Vijay Ji
bhut gajab likha mnoj ji….
….
hardik aabhar Madhu ji
बहुत ही खूबसूरत………
hardik aabhar Kajal ji