(प्रसंग: चंद रोज़ पहले, एक video viral हुआ था, जिसमें एक बंदर, एक बच्चे को एक मस्जिद/ मदरसे में बार-बार झुकने पर मज़बूर कर रहा था। समाज में ताक़त का जो दुरुपयोग होता है, उस पर मैंने इस कविता में, अपना विचार रखा है। दूसरी, बात यह कि किसी एक मामूली-सी घटना का चित्रण कई तरह से हो सकता है- इधर भी मैंने इशारा किया है, हिन्दू बनाम मुस्लिम कवियों के माध्यम से।) … 1… देखो तो, ताक़त का एक नज़ारासितमग़र बना है बंदर। बच्चा बना बेचारा।बच्चा सर जब भी उठाता हैबंदर बार-बार दबाता हैबंदर की ताक़त बड़ी हैबच्चे की ताक़त में कमतरी है।बंदर बच्चे को न तो सबक सिखा रहा हैन तो किताब पढ़ा रहा हैन ही सज़दे में झुका रहा है। बंदर तो बंदर है वह देवता, फ़रिश्ता या इंसान नहीं हैउसका कोई धर्म या ईमान नहीं हैवह हिंदू-सिख-इसाई या मुसलमान नहीं है।वह है बंदर, डर नहीं है उसके अंदरताक़त के नशे में चूर हो गया हैसर को उठने नहीं देता झुक जाने पर बच्चा मजबूर हो गया है।इसी तरह इंसानों की शक़्ल में कुछ बंदर हैं, जिनके जोर होते हैंदबाते रहते हैं, झुकाते रहते हैं उनको, जो कमजोर होते हैं । … 2… अक्सर खबरें आती हैंमन को जो न भाती हैं-‘एक बाबू, एक चपरासी कोएक कोतवाल, एक सिपाही कोएक प्रिन्सिपल, एक टीचर कोएक इंजीनियर, एक ऑपरेटर को;एक डाइरेक्टर, एक नर्तकी को एक पायलट, एक एयर होस्टेज कोएक पुजारी, एक भिक्षु कोएक डी. एम. एक आई. ए. एस. प्रशिक्षु को;एक डॉक्टर, एक नर्स कोएक मंत्री, एक सचिव कोएक सचिव, एक अधिकारी कोएक अधिकारी, एक पटवारी को;एक जज, एक वकील कोएक वकील, एक मुवक्किल कोएक दारोगा, एक गृहणी कोएक शोहदा, एक रमणी को’सर झुकाने पर मजबूर कर देता हैजब जंगली बंदर की माफिकताक़त के नशे में वह चूर होता है।यह भी सुनने में आता हैदिल को बहुत जलाता है-‘गुरु ने शिष्या कोट्यूटर ने छात्रा कोमालिक ने मजदूर कोमुँह बोले भाई ने सिंदूर को;ड्राइवर ने मुसाफिर कोव्यापारी ने कस्टमर कोकोच ने रेसलर कोवैज्ञानिक ने स्कॉलर को’झुका दिया है, सरझुकाने पर मजबूर कर दिया है।’एक दबंग को अपने पड़ोसन परएक महिला को अपनी सौतन परएक शौहर को घर वाली परएक घर वाली को सवाली पर;एक सास को बहूरानी परएक जेठानी को देवरानी परएक ननद को भाभी परएक काका को काकी पर’मैंने भी ताक़त कोआजमाते हुए देखा है जुल्म ढाते हुए देखा हैसर झुकाते हुए देखा है।कानून-व्यवस्था है लुंज-पुंज बराबरी नहीं तो कैसी फाइटनैतिकता में है बहुत गिरवाट हर जगह माइट बना है राइट। खौफ-ए-इलाही दिल में रहा नहीं इंसानियत की पोजीशन है टाइटबंदर-राज, जंगल-राज बढ़ रहा हैकैसे होगा देश का फ़्यूचर ब्राइट? … 3… एक हिन्दू कवि:जय-जय हो हनुमान लला कीजय हो जय हो उनके ज्ञान कीमुस्लिम को अरबी-पाठ पढ़ावैं जय-जय पवन-पुत्र हनुमान की।दूसरा हिन्दू कवि:हनुमान जी हैं बड़े महान, बड़े बलवानअब मदरसे में वे ध्यान सिखाने जाते हैंहर भारतवासी को करना पड़ेगा योग सरकार, का यह सन्देश बताने जाते हैं।तीसरा हिन्दू कवि:मेरे बजरंबली बड़े निराले वे तो हैं बड़े मतवाले मेरे हनुमान जी की महिमा है अपरंपारनित वे मस्जिद में जाते वे बच्चों को वेद पढ़ाते सर उठ जाए बच्चों का तो झुका देते हैं बारम्बार।चौथा हिन्दू कवि:चाहे कोई मस्जिद होचाहे कोई हो गुरुद्वारा चाहे कोई गिरिजाघर हो चाहे कोई मठ हो न्यारा; ज्ञान सिखाने बजरंगी मेरे जहां-जहां भी जाएंगे भीष्म-प्रतिज्ञा करते हैं हम मंदिर वहीं बनाएंगे। … 4… मुस्लिम शायर 1:एक बंदर है जोमदरसे में एक अरसे से आता है अरबी कैसे लगन से पढ़ा जाएबच्चों को दबा-दबाकर सिखाता है।मुस्लिम शायर 2:हिंदुओं अब तो देखोहिंदुओं तुम ये समझोमुस्लिम बन के मस्जिद में पहुंच गये हैं पवन-पुत्र हनुमान;अब वे हिन्दू नहीं रह गए हैंअब तो मौलवी बन गए हैं वे दबा-दबा कर बच्चों कोसिखा रहे हैं आदाब-ए क़ुरान।मुस्लिम शायर 3:दोस्तों, आज ख़ुशी का मौका आ गया है बार-बार हम खुशामदीद कहते जा रहे हैंबजरंगबली मस्जिद में तशरीफ़ ला रहे हैंवे बच्चों को दबा-दबा के इल्म सिखा रहे हैं;आरजू है यही, दुआ है यहीहिन्दू-मुस्लिम एकता सलामत रहे, गंगा-जमुनी तहज़ीब अमर रहेहनुमान जी इसको मजबूत बना रहे हैं। वक्त के साथ विकृत इतिहास, कुछ ऐसे ही पनपते हैं;पीढ़ी-दर-पीढ़ी लोग, बेमुद्दे के मुद्दे पर यूं ही लड़ते हैं। … र.अ. bsnl
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Power to ek hi hai ,chahe jis roop mein maan lo ,Hindu to mante hain kan 2 mein energy ka was hai ,problem soch ki hai .Bhagwan Allah ya Jesus koi bhi Alag nahi . sab ek hain
KK Gulati ji dhanyawaad., Pl read again in context of the poem as below:
प्रसंग: चंद रोज़ पहले, एक video viral हुआ था, जिसमें एक बंदर, एक बच्चे को एक मस्जिद/ मदरसे में बार-बार झुकने पर मज़बूर कर रहा था। समाज में ताक़त का जो दुरुपयोग होता है, उस पर मैंने इस कविता में, अपना विचार रखा है।
दूसरी, बात यह कि किसी एक मामूली-सी घटना का चित्रण कई तरह से हो सकता है- इधर भी मैंने इशारा किया है, हिन्दू बनाम मुस्लिम कवियों के माध्यम से।