दूसरो का दर्द सिर्फ वो ही समझ पाता है lजो उस दर्द से कभी होकर गुजर जाता है llजो उस दर्द को महसूस ना कर पाया हो lवो क्या खाक दूसरो का दर्द समझ पाता हैllदर्द यूँ हर किसी को बताया नहीं जाता है lबताया जाता है उसे जो दर्द समझ पाता है llवर्ना आपका दर्द एक मज़ाक बन जायेगा lहल नहीं निकलेगा सिर्फ बवाल बन जायेगा llअगर ना मिले दर्द सुनने वाला कोई अपना lईश्वर से कहो मन हो जायेगा हल्का अपना lकम से कम ये बातें आगे नहीं जा पाएंगी llईश्वर ने चाहा तो समस्या हल हो जाएंगी llना करो चिंता दर्द जिंदगी का एक हिस्सा है lआज मेरा तो कल किसी और का किस्सा है llदूसरो के दर्द का कभी मज़ाक ना बनाना lक्या पता कल हमें ही पड़े ये दर्द सह पाना ll——————-
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Very nice…
Dhanyavad Anu Ji
अरसे पर ही सही मुलाकात तो होती है
दूरी कितनी भी हो दिल से पास होती है.
बहुत सूंदर रचना. अंतिम दो पंक्तियाँ तो लाजवाब हैं.
एक बार “आह” और “कदम” को भी पढ़ें.
Dhanyavad Vijay Ji aapki rachna “Aah” aur “Kadam” jarur paduga ye to mera shobhagye hai .
आत्म चिंतन का बोध कराती सुंदर रचनात्मकता ………….अति सुन्दर राजीव !
धन्यवाद निवितिया साहब
bahut badiya sir…..
धन्यवाद
Very nice ……….,
Thank u so much
bahut khoobsoorat………….
बहुत बहुत धन्यवाद बब्बू जी
Very nice write Rajiv Ji ……….
दिल से आभार शिशिर साहब
Very nice……………..
कविता सराहने के लिये धन्यवाद अल्का जी
bhut hi gajab…….. prerna deti rachana…….
बहुत ही खूबसूरत रचना……. राजीव जी…..