भूल न जाना तुम मेरे गीत जब नव ऋतु गीवें तेरे गीतभूल न जाना तुम मेरे गीत तेरे गीत हैं मधुमास भरेमेरे गीत बस एक पँखुरीतेरे संग आँधी का आलममेरी तो एक साँस अधूरी पँख फैलाये फुदक फुदक करजब खगगण गावें तेरे गीतभूल न जाना तुम मेरे गीत गरज रहे हैं मेघ तुम्हारेबिजली लिये कंपन का सुर हैपर प्राण है इकतारा मेराकंपित साँसों का कंचित सुर है कोयल गाती गीत तुम्हारेचुपचुप सुनकर वह मेरे गीतभूल न जाना तुम मेरे गीत तू गीतों में भरता चिर-यौवनचिर-पिपासा की लेकर सरगमगाकर गीत तू अमर हुआ हैमुझे दिया है मृत्यु-भय हरदम समझा जिसे तू पीड़ा सागरवह गागर है मेरा ही गीतभुल न जाना तुम मेरे गीत सारी प्रकृति वाद्यवृंद तेरीमेरे हिस्से इक खाली ठोलगठरी खाली ठोल समान हैचले साथ बन है ठठरी अनमोल मेरी अर्थी लिये काँधों परचुपचाप चले जब मेरे मीतभूल न जाना तुम मेरे गीत।—- ——- —- भूपेंद्र कुमार दवे00000
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sundar rachnaa Bhupendra ……
आपने सराहा। मेरा उत्साह बढ़ाया। अनेक धन्यवाद।
बेहद उम्दा….काश ऐसे भाव मैं पिरो पाऊं कभी……
ऐसा न कहें। आप की रचनायें भी मुझे आत्मविभोर कर जाती है।
Beautiful. song…………………….
Many Thanks for the good words.
very nice……………………!!
Many thanks. You are writing good words for almost all my works. Thank you.
बेहतरीन लिखा है आपने…… आप बहुत अच्छा लिखते हैं………..
बहुत ही खूबसूरत रचना………. भूपेंद्र जी…..