IIछंद – कुंडलियांIIपग धर नभ पर चलत ही, ऊंची रही उड़ान…तन मन से जब कट गया, गैर हुआ इंसान…गैर हुआ इंसान, मन प्रेम मोल न जाना….कह चन्दर कविराय, साथ ना कुछ है जाना…सब यहीं रह जाना, जब जाना छोड़ के जग…कर्मफल मिलना सब, सन्मार्ग पर धर तू पग….\/सी.एम्.शर्मा (बब्बू)
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
darshan se pariporrn sundar rachnaa Babbu Ji. Antim line padhne me saara rythm bigaad rahi hai. Yadi ise kisi aur tarah se kah saken to koshish keejiyegaa.
बहुत बहुत आभार…मधुकरजी……..मैंने अंतिम से पहली पंक्ति में थोड़ा बदलाव किया है….आप नज़र करियेगा….
Ab mujhe padhne me aanand aa raha hai. Behad umdaa….
ज़रा नवाज़ी का शुक्रिया…..आपके आनंद में मेरा भी आनंद छुपा हुआ है….हा हा हा…
Atyant sunder …………………………….
तहदिल आभार आपका…Vijayji……
सचमुच बहुत ही सुंदर………… शर्मा जी……
आप कहती हैं तो मान लेता हूँ की सच में सुन्दर है….हा हा हा…..तहदिल आभार आपका…. काजलजी….
Bahut sundar…..
तहदिल आभार आपका……Anuji….
बेहतरीन कलम का उम्दा कमाल ………………यही है सच्चे साहित्यिक की पहचान !
आपकी नज़रे इनायत है….तहदिल आभार आपका….Nivatiyaji….
wah sir kya baat hai…………………….ati sunder…..
तहदिल आभार आपका….Maniji…..
बहुत खूव ……..,बेहतरीन ….., अति सुन्दर …….,
तहदिल आभार आपका….Meenaji……….