आज झरोखे से अचानक,मैंने, घूरते मयंक को देखालालिमा से प्रेरित हुएगोलाकार प्रकृति-अंग को देखा,शान्ति-सैलाब लिए हुएकोहराम को करते भंग देखा;चंद्रिका से इसकी हर ओरबढ़ती हुई उमंग को देखा,भीनी वायु तरंग संगछितराती हुई मान्द्य को देखा;शिशुओं को करते हुए आकर्षित,नभ में एक उज्जवल पात्र को देखा;इसके कारण उत्तेजित-उत्साहितहुआँस भरते हुँड़ार को देखा;निज अभाग्य पर रूठते- पछतातेआह! भरते किशोरों को देखा;मैंने मयंक को देखा!- निहारिका मोहन
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manbhaavan……………..
sury ko isi lie hi sury naraayan kaha gaya hai shashtron me …………
Nice……………….
बहुत सुन्दर………….
very nice….
Lovely thought ………!
ati sunder…………
बहुत खूबसूरत रचना।