मैं दीप जला के रखती हूँ रातों मे तुम कब आ जाओमैं फूल बिछा के रखती हूँजाने किस मोड़ से आ जाओजाने कैसे मेरी रात कटीबिस्तर की सिलवट से पूछोरोए हम रातों मे कितना मेरी आँखो की लाली से पूछोबेचैनी बढ़ती है दिल की जब याद तेरी आ जाती हैआंशू खुद ही बह उठते आँखो मे नमी सी छा जाती हैबर्दाश्त नही अब ये दूरीप्रियवर “कृष्णा” तुम आ जाओदर्शन को तरसे तेरी राधाअब दिल की प्यास बुझा जाओ ” कृष्णा चतुर्वेदी “
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Ati sundar bhavaavyakti …….
मधुकर भइया आपका बहुत आभार
बहुत ही खूबसूरत……. सुंदर भाव……
धन्यवाद काजल सोनी ज़ी
Bahut sundar rachna…
अन्नू जी आपका शुभाषीश धन्यवाद
behad khoobsoorat…………….
Beautiful……………………………
behtarin……..
बहुत सुन्दर रचना।
It’s very nice bro
आप सभी का ऐसे ही आशीर्वाद प्राप्त हो