।। जिन्दगी अपनी ये देके ।।जिन्दगी अपनी ये देके हम तो मर भी ना पाए । जिन्दगी मेरी ये लेके बोलो तुम भी क्या ख़ाक जी पाए । तुझे जब भी मै सोचू खुद के करीब पाऊ, तेरी यादो मेजब भी जाए, सैलाब को आँखो मे ना रोक पाए । ताले की चाबी तुम्हे देके, अब हम ये दरवाज़ा,खोल भी ना पाए । चाबी मेरी ये लेके, बोलो तुम कितने, दरवाज़े खोल पाए । तुम्हे जितना बुलाना चाहे, तुम्हे जितना पुकारे जाए,तुम्हे उतना ही दूर पाए । सुबह कही हम तुम्हे ना देख पाए, दिन भर जो तुम्हारी यादों मे बीताए, शाम को कही इस दिल को समझा पाए, राते तो तुम कब की, किसी और के नाम कर आए । जिन्दगी अपनी ये देके हम तो मर भी ना पाए । जिन्दगी मेरी ये लेके बोलो तुम भी क्या ख़ाक जी पाए । #ashwin1827
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Nicely written……………………
Beautiful…………………..!
बहुत ही खूबसूरत….. पहली पंक्ति तो बेहतरीन से भी
बेहतरीन है…………..