क्या रहस्य है यह आखिर क्यों हो जाता है बेमानी और नागफनी-सा दिन तुम्हारे मिलकर जाने के बाद… क्यों हो जाती है उदास मेरी तरह घर की दीवारें-सोफा मेज पर धरी गिलास-तश्तरियाँऔर हंसता-बतियाता पूरा का पूरा घर… क्यों डरने लगते हैं हम मन ही मन मौत से तुम्हारे मिलकर जाने के बाद…क्यों हमारी पूरी दुनिया और खुशियाँसिमटकर समा जाती है तुम्हारे होठों की मुस्कुराहटों में तुम्हारे मिलकर जाने के बाद… क्यों घंटो हँसता और बोलता बतियाता रह जाता हँ मैं तुमसे तुम्हारे जाने के घंटों बाद भी… क्यों महसूसने लगता हूँ मैं एक अजीब-सी रिक्तता और व्याकुलता तमाम सुख सुविधाओं के होते हुए भी तुम्हारे जाने के बाद… क्यों बार-बार तुम्हारी ही पहलू में लौट जाने को मचलता है मन सागर की लहरों की तरह… क्यों उलझा रहने को करता है मन तुम्हारे ही ख्यालों विचारों में दिन-रात माला में धागा की तरह तुम्हारे मिल कर जाने के बाद…तेली पाड़ा मार्ग, दुमका, झारखंड।
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मन की कशमकश को बहुत खूबसूरती से शब्दांकित किया है विवेक जी !
बेहद उम्दा भाव हैं रचना में…जैसे उठे लिख दिए….वाह….हँसता बतियाता…गिलास तश्तरियाँ…महसूसने… एक ऐसा परवाह है शब्दों में जो दिल से निकलते ही कागज़ पे उतर गए हों….
bhut khoobsurat alfaazo me piroya hai apne bhavo ko vivek ji………
Ati sundar bhaavyakti…………
Very nice….
bahut sunder sir…
ह्रदय के भावो को सुन्दर शब्द शैली में सजाया है आपने …………..बहुत खूबसूरत विवेक जी !
हार्दिक आभार मीना जी।
सुंदर प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार babucm जी।
सुंदर प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार मधु जी
सुंदर प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार शिशिर जी
प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार अनु जी
हार्दिक आभार मनी जी।
हार्दिक आभार निवातियां जी।
प्रेम के अनुभूतियों का सूक्ष्म और सुंदर अभिव्यक्ति।
मन के ऊहापोह का सुंदर सजीव चित्रण।
वाह! बहुत सुंदर। पढ़कर मन आनंदित हो उठा।
कमाल का लिखते हैं सर आप।
सुंदर प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार अवधेश जी।
सुंदर प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार विक्रम भाई जी
आपको मेरी रचना दिल को छू गई इसका मतलब मेरा लेखन कार्य सफल हुआ। हार्दिक आभार पूनम जी।
आशा है भविष्य में भी आपकी प्रतिक्रिया ऐसे ही मिलती रहेगी। एक बार पुनः आपका दिल से आभार।
हमेशा की तरह इस बार भी बहुत सुंदर काव्य रचना।
हार्दिक आभार।
नमो नारायण !
बहुत सुन्दर भाव से ओतप्रोत रचना.
सुंदर प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार विजय जी.
बहुत ही सुंदर आैर मनभावन काव्य रचना।
हार्दिक आभार.