लोग कहते है हम कितना हँसते है, कुछ हँसते हँसते रोते है, कुछ रोते रोते हँसते है, हम तो बस यों ही हँसते है । कौन समझेगा उस ज़हर को ऐ दोस्त, जिसे हम पीते है, जब वो ही ना समझे उनकी एकहँसी के लिए ही तो हम जीते थे । कौन रोकेगा उस सैलाब को ऐ दोस्त, जिसमें डुब के भी ना हम तरते है । उनके इंतज़ार में हर पल मरते है । कौन चाहेगा उस टूटे दिल को ऐ दोस्त, जिसके टुकड़े अब भी पड़े मिलते है, उनके प्यार की राहो में । लोग कहते है हम कितना हँसते है, कुछ हँसते हँसते रोते है, कुछ रोते रोते हँसते है, हम तो बस यों ही हँसते है ।#ashwin1827
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bhut bdhiya …………..ashvin ji……….
धन्यवाद ।
sunder……………
धन्यवाद ।
ati sundar vyaktigat bhaavavyakti……
धन्यवाद ।
Sundr bhaav……….!
धन्यवाद ।
बहुत बढ़िया अविनाश जी।
धन्यवाद ।
बहुत ही बढ़िया………. हंसते रहिये…..
धन्यवाद ।
सुन्दर रचना.
धन्यवाद ।