बिना बताए,चुपचाप चले आना ।दबे पाँवों आके,यूं ही चौंकाना ।।नासमझी सी बातें,इशारों में समझाना ।किताबों में बेतरतीब से,ख़तों को छुपाना ।।उजली चाँदनी रातें,तारों संग बिताना।बेगानों की महफिल में, बेवजह मुसकुराना ।।बेमतलब बेमकसद,झूठी-मूठी बातें बनाना ।कहाँ सीखा यूं ही,बेकदरों से दिल लगाना ।। ××××××”मीना भारद्वाज”
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Very nice….
Thank you so much Anu ji .
bhut hi khoobsurat kavita meena ji……bhut gajab.
हार्दिक आभार मधु जी !!
बहुत खूब ……………………………………. मीना जी !!
तहेदिल से शुक्रिया सर्वजीत सिंह जी !!
बहुत खूबसूरत चेंज है आपकी….
तहेदिल से शुक्रिया शर्मा जी !
Badi khoobsoorti se likha hai aapne man bhaavon ko meena ji ………
बहुत बहुत धन्यवाद शिशिर जी !
bahut hi khubsurat rachna aapki….
बहुत बहुत धन्यवाद मनी जी !
प्रेम की सुखद अनुभूतियों का सुंदर चित्रण.
प्रेम के सुखद अनुभूतियों का सुंदर चित्रण.
हार्दिक धन्यवाद डॉ विवेक जी !
प्रेम की अनुभूति को काव्यात्मकता के साथ पेश करना यही तो रचनात्मकता है एक कुशल कवी की ………अति सुन्दर मीना जी !
हृदयतल से हार्दिक धन्यवाद निवातिया जी !!
प्रेम की सुखद अनुभूति का सुन्दर चित्रण। धन्यवाद मीना जी।
चन्द्र मोहन जी , रचना पढ़ने और अमूल्य प्रतिक्रिया देने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद ।
मीना जी बहुत ही खूबसूरत………. रचना……..
Thank you so much Kajal ji .
नमो नारायण !
बहुत सुन्दर रचना.
नमो नारायण विजय जी ! रचना सराहना के लिए हृदयतल से आभार ।।
बेहतरीन रचना मैम………… बेहद ….बेहद खुबसूरत……..
Thank you so much Alka ji.