हृदय हमारा फुलवारी हैफूल हमारे सत्गुण हैं।काँटे जैसे चुभते सबकोवो कहलाते अवगुण हैं।रंग हमारा अलग अलग हैमहक सभी मनमोहक हैहर कलियों को छूकर देखोकोमल सबका तन मन है।चुन चुनकर सुन्दर फूलों कोजब कर्म हमारे गुँथते हैंकर्म हमारे अंतर्मन कासृजन हमेशा करते हैं।धर्म कर्म के इन फूलों सेमाला मोहक बनती हैइसे समर्पित तुझको करकेश्रद्धा प्यारी जगती है।तुझे नमन करने हम सब जनहृदय सजाया करते हैंऔर स्मरण जब तेरा करतेअवगुण सत्गुण बनते हैं।तेरी मूरत प्यारी न्यारीजब फूलों से सजती हैतब मानव की फुलवारी भीकर्मफूल से सजती है।हृदय हमारा फुलवारी हैफूल हमारे सत्गुण हैं।काँटे जैसे चुभते सबकोवो कहलाते अवगुण हैं।…. भूपेन्द्र कुमार दवे00000
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
ati sundaar ……………..
bahut sundar……………..
bhut sundar dave ji………….
मधु जी आपकी रचना जय हनुमान पर प्रतिक्रया देने का विकल्प नहीं आ रहा है …रचना बेहद खूबसूरत है !
बेहद खूबसूरत …………………!
बहुत ही खूबसूरत……… रचना……..
Bahut hi sundar rachna…