मेरी नयी कविता मेरे मित्र रामसागर जी को समर्पित जो अब इस संसार में नहीं रहे
शीर्षक-एक दोस्त था ऐसा
एक दोस्त था मेरा ऐसा
जो निभाता था दोस्ती
या ये कहूँ वो जीता था दोस्ती
कट वाले शर्ट और पैन्ट
पैरो में चप्पल
आँखों में चश्मा
यही तो थी उसकी पहचान
इसी पहचान को बढ़ाने के लिए
उसका रोज कॉलेज आना
पुस्तकालय में बैठ
किताब के पन्नो को पलटाना
चश्मे को ऊपर की तरफ़ बार बार सरकाना
यही तो थी उसकी पहचान
कक्षा में बैठ पूछते रहना सवाल
और ढूंढते रहना जवाब
एक दोस्त था मेरा ऐसा
जो हमारा बनकर जीता था हमको
आज वो नहीं है
मेरी आँखे सजल होकरढूंढती रहती उसे
दाहिने ओर की दूसरी बेंच पर
जहाँ बैठ वो पूरा करना चाहता था
अपना आधा अधुरा सपना
अपनी पत्नी के लिए बनाना चाहता था आशियाना
अपने बच्चे के लिए खरीदना खिलौना
माँ की आँखों का इलाज़ करवाना
एक दोस्त था मेरा ऐसा
नहीं जानता था वो
वो था तो था उसकी पत्नी का आशियाना
वो तो खुद ही था अपने बेटे का खिलौना
वो नहीं जानता
वो था तो थी उसके माँ के आँखों में रौशनी
एक दोस्त था मेरा ऐसा
जिसके नाम में छिपा था ईश्वर का नाम
फिर क्यों उसे ले गया ऊपर
हमसे वो ऊपर बैठा भगवान — अभिषेक राजहंस
Emotional write expresses your sentiments for your friend so very well.
नमस्ते सर
आपने मेरी भावनाओं को समझा
dost ki yaad mein bhaavon ko piroya hai….aab badhaayee ke haqdaar hain…jo dost ko yaad karte hain…. aap jaise dost bhi kam hi hote…. unke kuchh adhoore sapne jo aap bina kisi compulsion ke kar sakte poore to kariyeaga….bhagwaan appke dost ko shaanti de…aapko bal…..
भावुक कर दिया आपने………… और आपकी रचना ने
……………
नमस्ते सर
आपने मेरी भावनाओं को समझा
धन्यवाद् काजल जी
सच्ची दोस्ती की मिसाल शायद इसी को कहते है ………..आपका मित्र आपके ह्रदय पटल पर सदैव अंकित रहेगा ……नमन आपकी दोस्तों और दोस्त को ! रब उसकी आत्मा को शांति प्रदान करे !
bhagwan apke dost ki atma ko shanti de……..bhavuk rachna…