हर शब्द लफ़्ज़ो से बयान नहीं होतेकुछ आँखो से पड़े जाते हैकुछ लोग दूर होकर भी दूर नहीं होतेदिल मे बस जाते हैबहुत लोग ज़िन्दगी मे आते जाते हैपर कुछ खास बन जाते हैउनके साथ बिताये लम्हेदिल की तस्वीर मे नज़र आते हैबहुत सारे पलो मे कुछ पलो कीयादे समेट लेते हैइन यादो के पिटारो कीदिल मे जगह बना देते हैआते जाते ये लम्हेहर पल साथ निभाते हैपरछाई सी बनकर पीछे पीछे आते हैकुछ एहसास इतने प्यारे होते हैदिल को छू लेते हैदिमाग से नहीं मगर दिल सेमेहसुस किये जाते हैकुछ शब्द जबान पर नहीं आतेनिशब्द बन जाते हैदिल की गहराइयो मे जाकरकिसी कोने मे छिप जाते हैबरखा रानी
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सत्यपरक रचना …………..अति सुन्दर !
Bahut sundar…
बहुत ही खूबसूरत………
sahi kaha apne………………………..
aap Sabka bahut bahut shukriya
“हर शब्द लफ़्ज़ो” ke sthaan par “sab ehsaas lafzon” se kaa istemaal karke dekhon to racchnaa poorn ho jaaegi. kyonki shabd ko hi urdu me lafz kahte hai. pata nahi kyon or mitron ne appko is or ishaaraa nahin kiyaa. otherwise rachnaa behad sundar hai.
बरखाजी….बेहद सुंदर रचना…..जैसा की मधुकर जी ने कहा…शब्द और लफ्ज़ दोनों का एक ही मतलब है …. मुझे लगता आप “हर शब्द जुबां से ब्यान नहीं होते” कहना चाहती हैं…गलती से लफ़्ज़ों हो गया…. और आपकी रचना इतनी खूबसूरत और लय में है की हो सकता किसी का ध्यान नहीं गया हो…पढ़ने में तल्लीन हो गया…..बहुत अच्छा लिखती हैं आप….लिखते रहिये बस…..
bahut sunder likha aapne……likhte rahiye….