अलबेला हूँ
!
भीड़ में खड़ा हूँ, फिर भी अकेला हूँ कदाचित इसीलिए मै अलबेला हूँ !!शोरगुल में धँसा पड़ा हूँ आफतो में फँसा पड़ा हूँरोता सा मै हँसा खड़ा हूँजनसमूह ने धकेला हूँ, फिर भी मै अलबेला हूँ !!!गैरो के लिये तो मैला हूँ अपनों के लिये छैला हूँ दुखियो के सदा गैला हूँ कोई कहे आदतन हठेला हूँ, पर जैसा भी हूँ अलबेला हूँ !!!दिखावे का विरोधी हूँ जागरूकता का रोधी हूँ जमाना कहे अवरोधी हूँ आलोचनाएं झेला हूँ ,कारणवश मै अलबेला हूँ !! !साधारण सा कर्म योगी हूँस्वस्थ होकर भी रोगी हूँ विषाक्त समाज में भोगी हूँ जीता नहीं पर खेला हूँ, क्योकि मै सबसे अलबेला हूँ !!!मन मस्त मलंग मै रहता हूँहर दुःख दर्द हँसके सहता हूँ निसंकोच दिल की कहता हूँदुनिया की नजर में वेला हूँ, समझता खुद को अलबेला हूँ !!!हमेशा सबकी सुनता हूँ अपनी कब कह पाता हूँ खुद ही में खोया रहता हूँ सबकी नजर में पागलो का चेला हूँ, सम्भवत अलबेला हूँ !!!भीड़ में खड़ा हूँ, फिर भी अकेला हूँ, कदाचित मै अलबेला हूँ !संशय में हूँ पर जिंदगी को ठेला हूँ , यक़ीनन मै अलबेला हूँ !!
!!!डी के निवातिया
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albele ki badi sateek paribhasha dee hai aapne aaj ke bhaartiya paripekshya me Nivatiya JI.
अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए तहदिल शुक्रिया आपका ………..SHISHIR JI.
Bahut hi sundar rachna Nivatiya ji…
अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए तहदिल शुक्रिया आपका ………..ANU Ji.
अत्यन्त सुन्दर ………… आपकी रचना के अलबेले व्यक्ति की सारी विशेषताएँ अनुपम हैं और आपने बड़ी कुशलता से शब्दाकित किया है ।
अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए तहदिल शुक्रिया आपका ………..MEENA JI.
” मैं मस्त मलंगा रहता……… अलबेला हूँ।”
………… बहुत ही बेहतरीन.और लाजवाब पंक्ति…..
………. निवातिया जी…..
अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए तहदिल शुक्रिया आपका ………..KAJAL
bhut khoobsurat………… ati sundar nivatiya ji….
अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए तहदिल शुक्रिया आपका ………..MADHU Ji.
अद्भुत….समाज के ताने बाने में फंसा….वाह….सामाजिक व्यवस्था….हमारी सोच….हमारे चिंतन को यथार्थ के धरातल पे बेपर्दा करता अलबेला है…..जो सही में ज़िन्दगी है साथ ले के चलने की उस को न जी कर हम अपने स्वार्थ में….दिखावे में…सिर्फ अपनी ही बात कहने में लगे हैं दूसरों की परवाह नहीं….बेहतरीन कलम से ही ऐसी रचनाएं संभव हैं….हर पक्ष को बखूभी उभारा है….जय हो…..
अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए तहदिल शुक्रिया आपका ………..आपके उत्साहवर्धन का ही कमाल है जो कुछ भाव उत्पन्न हो जाते है !… THANKS BABBU JI.
Bahut sunder……………………
अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए तहदिल शुक्रिया आपका ………VIJAY .
बहुत अछी तरह से अल्बेलेपन का ज़िक्र किया है आपने निवतियाँ जी ,सुंदर रचना
अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए तहदिल शुक्रिया आपका ………KIRAN JI.
आपकी अति उत्तम एवं श्रेष्ठतम रचनाओं में से एक ….Bahut Hi Khoobsurat.
अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए तहदिल शुक्रिया आपका ………AJAY.
bahut sunder jikar albelepan ka………….bahut badiya sir……
अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए तहदिल शुक्रिया आपका ………MANI.
बहुत ही सुन्दर ।
अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए तहदिल शुक्रिया आपका ………ASHWIN.